द लोकतंत्र: पितृपक्ष 2025 की शुरुआत 7 सितंबर से हो चुकी है, जो 21 सितंबर तक चलेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह अवधि अपने पितरों (पूर्वजों) को याद करने, उनका श्राद्ध करने और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का समय है। परंपरागत रूप से लोग इस दौरान पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण और भोजन का आयोजन करते हैं।
अक्सर इस पावन समय में लोगों के मन में एक सवाल उठता है – क्या पितृपक्ष में नई चीजें खरीदना शुभ है या अशुभ? बहुत से लोग मानते हैं कि इस अवधि में कोई भी नई वस्तु, चाहे वह कपड़े, वाहन या घर का सामान हो, खरीदना पितरों को अप्रसन्न कर सकता है। माना जाता है कि ऐसा करने से घर में नकारात्मकता बढ़ती है।
हालांकि, शास्त्रों और विद्वानों की राय इस मान्यता से अलग है। ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पांडेय के अनुसार, पितृपक्ष को अशुभ मानना सही नहीं है। शास्त्रों में कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि श्राद्ध पक्ष में खरीदारी वर्जित है। यह केवल एक सामाजिक धारणा है, जिसे समय के साथ परंपरा के रूप में स्वीकार कर लिया गया।
हां, मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि पितृपक्ष में नहीं किए जाते, क्योंकि यह समय गंभीरता और श्रद्धा का प्रतीक है। शास्त्रों का मानना है कि इन दिनों में हमारी प्राथमिकता पितरों के श्राद्ध और आशीर्वाद प्राप्त करने पर होनी चाहिए।
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि जब आप पितृपक्ष में कोई नई वस्तु खरीदते हैं, तो यह आपके परिवार की समृद्धि का संकेत होता है। यह संदेश आपके पूर्वजों तक पहुंचता है कि उनका वंश सुखी और प्रगति कर रहा है। ऐसे में पितर प्रसन्न होकर अपने आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
हालांकि, खरीदारी करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:
- पितरों को याद करते हुए सादगी अपनाएं।
- अत्यधिक दिखावा या फिजूलखर्ची से बचें।
- जरूरतमंदों को दान अवश्य दें।
निष्कर्ष यह है कि पितृपक्ष में आवश्यक वस्तुएं खरीदना किसी भी प्रकार से अशुभ नहीं है। यह केवल एक भ्रांति है, जिसका शास्त्रों में कोई आधार नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि श्रद्धा और सम्मान के साथ अपने पूर्वजों को याद किया जाए और उनकी कृपा प्राप्त की जाए।