द लोकतंत्र: सावन का महीना हिंदू परंपराओं में विशेष महत्व रखता है। यह केवल प्रकृति की हरियाली का उत्सव नहीं है, बल्कि भावनाओं, रिश्तों और आध्यात्मिक जुड़ाव का भी प्रतीक है। खासकर, बेटियों के मायके आगमन से यह माह और भी पावन हो जाता है।
शास्त्रों के अनुसार, बेटियां लक्ष्मी का स्वरूप मानी जाती हैं। उनका भाग्य पूरे परिवार के सौभाग्य को प्रभावित करता है। विवाह के बाद जब बेटी की विदाई होती है, तो घर की ऊर्जा भी बदलती है—एक खालीपन, एक भावनात्मक रिक्तता। लेकिन जब सावन में बेटी मायके आती है, तो वह सुख-शांति और समृद्धि लेकर आती है।
तुलसी रोपण और शास्त्रीय मान्यता:
मान्यता है कि सावन में बेटी के हाथों तुलसी का पौधा लगवाना विशेष फलदायी होता है। इससे घर के क्लेश, आपसी मनमुटाव और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। तुलसी रोपण के साथ बेटी और उसके परिवार के बीच का आध्यात्मिक संबंध और गहरा होता है।
मकान न बनने की परेशानी? करें ये उपाय:
यदि आप चाह कर भी मकान नहीं बना पा रहे हैं या संपत्ति संबंधी परेशानियों से जूझ रहे हैं, तो सावन के किसी मंगलवार को बेटी के हाथों मिट्टी के बर्तन में गुड़ रखवा कर ज़मीन में दबा दें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इससे शीघ्र घर निर्माण के योग बनते हैं।
धन वृद्धि के लिए श्रृंगार और चांदी का उपाय:
धन संबंधित समस्याओं से जूझ रहे परिवारों के लिए भी सावन में बेटी का आगमन शुभ होता है। बेटी को श्रृंगार की वस्तुएं भेंट करें और उसके हाथों गुलाबी कपड़े में थोड़े से अक्षत (चावल) और एक चांदी का सिक्का बांधकर धन-स्थान पर रखें। ऐसा करने से लक्ष्मी कृपा बढ़ती है और धन में स्थायित्व आता है।
बेटियों के बिना अधूरे हैं सावन के त्योहार:
हरियाली तीज और रक्षाबंधन जैसे पर्वों की आत्मा ही बेटियां होती हैं। उनके बिना ये त्योहार अधूरे लगते हैं। बेटी का मायके आना केवल परंपरा नहीं, परिवार में नई ऊर्जा का संचार है।