द लोकतंत्र: भारत में जब भी कोई व्यक्ति नया घर लेता है या उसमें प्रवेश करता है, तो उसके साथ कई उम्मीदें और सपने जुड़े होते हैं। हर कोई चाहता है कि नया घर सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र बने। लेकिन अक्सर लोग घर की सजावट और सुविधाओं पर ध्यान तो देते हैं, मगर वास्तु शास्त्र के नियमों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। वास्तु के अनुसार घर की दिशा, कमरों की स्थिति और पूजा-पाठ की विधि का पालन करने से जीवन में शांति, सौभाग्य और समृद्धि बनी रहती है।
प्रवेश द्वार का महत्व
वास्तु शास्त्र में घर का मुख्य द्वार सबसे अहम माना जाता है। यह दरवाजा हमेशा उत्तर, पूर्व या ईशान कोण दिशा में होना शुभ होता है। दरवाजा अंदर की ओर खुलना चाहिए और सामने किसी दूसरे घर का दरवाजा या सीढ़ी नहीं होना चाहिए। इससे घर में नकारात्मकता नहीं आती।
बेडरूम की सही दिशा
नए घर में बेडरूम की स्थिति का भी खास ध्यान रखना चाहिए। बेड हमेशा दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए और उसके सामने आईना नहीं होना चाहिए। सोते समय सिरहाना दक्षिण या पूर्व दिशा की ओर रखना शुभ होता है, जबकि उत्तर दिशा में सोना अशुभ माना जाता है।
किचन का स्थान
किचन घर की ऊर्जा का केंद्र होता है। इसे दक्षिण-पूर्व यानी आग्नेय कोण में बनाना सर्वोत्तम है। गैस चूल्हा और सिंक को पास-पास रखने से बचना चाहिए, क्योंकि जल और अग्नि का टकराव अशुभ परिणाम देता है। खाना बनाते समय मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए।
बाथरूम और टॉयलेट
वास्तु के अनुसार, बाथरूम और टॉयलेट कभी भी उत्तर-पूर्व दिशा में नहीं होने चाहिए। इनकी सबसे शुभ दिशा उत्तर-पश्चिम मानी गई है।
लिविंग रूम और फर्नीचर
लिविंग रूम में भारी फर्नीचर दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। उत्तर-पूर्व दिशा को हल्का और खुला छोड़ना शुभ होता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।
पूजा घर की स्थिति
पूजा घर हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में बनाना चाहिए। सीढ़ियों के नीचे या टॉयलेट के पास पूजा स्थान बनाना वास्तु दोष पैदा करता है।
गृह प्रवेश के नियम
नए घर में प्रवेश करते समय शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना चाहिए। घर में प्रवेश करते समय दाहिना पैर आगे बढ़ाकर गणेश पूजा, वास्तु शांति हवन और नवग्रह पूजा करना कल्याणकारी माना गया है। मुख्य द्वार पर स्वस्तिक या ॐ का चिन्ह और घर के ईशान कोण में तुलसी का पौधा सौभाग्य लाता है।
घर की ऊर्जा और शुद्धि
नए घर में प्रवेश से पहले गंगाजल से शुद्धिकरण करना चाहिए। इससे पूर्व निवासियों की नकारात्मकता समाप्त होती है। घर का मध्य भाग खाली और स्वच्छ रखना चाहिए और सीढ़ियां दक्षिण या पश्चिम दिशा में बनवानी चाहिए।
जल संबंधी व्यवस्थाएं
पानी की टंकी या बोरवेल उत्तर-पूर्व दिशा में होना शुभ है। दक्षिण-पश्चिम दिशा में जल से जुड़ी कोई भी व्यवस्था अशुभ प्रभाव डाल सकती है।
यदि नए घर में प्रवेश के समय वास्तु शास्त्र के इन सरल नियमों का पालन किया जाए तो परिवार में सुख-समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।