द लोकतंत्र: आंध्र प्रदेश के तिरुपति स्थित विश्व प्रसिद्ध तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने मंदिर की धार्मिक आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप में चार कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इस फैसले से धार्मिक प्रतिबद्धता और धर्म आधारित आचार संहिताओं को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है।
टीटीडी (TTD) के अनुसार, निलंबित किए गए कर्मचारियों में डिप्टी एग्जीक्यूटिव इंजीनियर बी. एलिज़ार, स्टाफ नर्स एस. रोज़ी, ग्रेड-1 फार्मासिस्ट एम. प्रेमवती और आयुर्वेदिक डॉक्टर डॉ. जी. असुंथा शामिल हैं। इन पर आरोप है कि वे हिंदू धार्मिक संस्था में कार्यरत होने के बावजूद अन्य धर्मों का अनुसरण कर रहे थे।
क्या है पूरा मामला?
टीटीडी विजिलेंस विभाग द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट और अन्य सबूतों की समीक्षा के बाद इन कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई। संस्थान के नियमों के अनुसार, तिरुपति मंदिर ट्रस्ट और इससे जुड़े संस्थानों में केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों को ही नौकरी में रखा जा सकता है।
टीटीडी (TTD) प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई धार्मिक आस्था के उल्लंघन पर आधारित है, न कि व्यक्तिगत आस्था पर। संगठन का मानना है कि यदि कोई व्यक्ति हिंदू धार्मिक संस्था में काम करता है, तो उसे वहां की धार्मिक परंपराओं और अनुशासन का पालन करना चाहिए।
क्यों है यह विवादास्पद?
TTD के नियमों में हाल के वर्षों में तीन बार संशोधन किया गया है, जिससे यह अनिवार्य किया गया कि केवल हिंदू धर्म मानने वाले ही मंदिर ट्रस्ट से जुड़ी सेवाओं में कार्यरत रह सकते हैं। आलोचक इस कदम को धार्मिक असहिष्णुता से जोड़कर देख रहे हैं, जबकि समर्थक इसे संस्था की आस्था की रक्षा बताते हैं।
तिरुपति मंदिर: आस्था और संपत्ति का संगम
तिरुपति बालाजी मंदिर को दुनिया का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है। 2024 में सामने आई रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर ट्रस्ट की कुल 13,287 करोड़ रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट है। केवल 2024 में ही ट्रस्ट ने 1161 करोड़ रुपये की एफडी कराई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि संस्था की आर्थिक शक्ति भी अपार है।
TTD द्वारा कर्मचारियों के खिलाफ उठाया गया यह कदम कानूनी और धार्मिक पहलुओं को लेकर एक बहस का विषय बन गया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस निर्णय का सामाजिक और कानूनी प्रभाव किस रूप में सामने आता है।