द लोकतंत्र: जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उनके निधन की पुष्टि उनके आधिकारिक X (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर की गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सत्यपाल मलिक को मई 2025 में मूत्र मार्ग संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 11 मई को उन्हें पेशाब में अत्यधिक दर्द और परेशानी महसूस हुई, जिसके बाद उनकी दोनों किडनी ने काम करना बंद कर दिया। तब से ही उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई थी।
जम्मू-कश्मीर के अंतिम राज्यपाल के रूप में रहे कार्यकाल
सत्यपाल मलिक ने अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। यह वही समय था जब केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 और 35A को हटाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया। इसी के साथ जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर उसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया।
मलिक का कार्यकाल इस लिहाज़ से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि उन्होंने कई बार सार्वजनिक मंचों पर यह कहा था कि उन्हें अनुच्छेद 370 हटाए जाने की पूर्व जानकारी नहीं थी, लेकिन उन्होंने हालात को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अन्य राज्यों में भी रहे राज्यपाल
सत्यपाल मलिक का राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव व्यापक था। जम्मू-कश्मीर के अलावा वे बिहार, गोवा और मेघालय के भी राज्यपाल रह चुके थे। वे एक लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे, लेकिन बाद के वर्षों में सरकार की कुछ नीतियों की आलोचना करने के चलते चर्चा में आए।
आज ही है अनुच्छेद 370 हटाने की छठी वर्षगांठ
5 अगस्त 2025 को अनुच्छेद 370 को हटाए जाने की छठी वर्षगांठ है, और ठीक इसी दिन सत्यपाल मलिक के निधन की खबर आई है, जो इस ऐतिहासिक बदलाव के साक्षी रहे। उनके निधन पर कई राजनीतिक नेताओं और संगठनों ने शोक व्यक्त किया है।