द लोकतंत्र:
Bihar Voter List SIR 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई, जिसमें 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने के मामले पर चर्चा हुई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए पहले पूरी प्रक्रिया की वैधता और पारदर्शिता की जांच करने की बात कही।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और गोपाल शंकर नारायणन ने दलील दी कि Special Intensive Revision (SIR) के दौरान संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए बूथ-स्तरीय अधिकारियों (BLO) ने मनमानी की। आरोप है कि बड़े पैमाने पर पात्र मतदाताओं को सूची से बाहर किया गया और कई स्थानों पर जीवित लोगों को मृत घोषित कर दिया गया।
सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि एक ही जिले में 12 लोग ऐसे हैं, जिन्हें गलत तरीके से मृत दिखाया गया है, जबकि कुछ मृतकों को जीवित दिखाया गया है। वहीं, वकील गोपाल शंकर नारायणन ने कहा कि जस्टिस बागची ने पहले ही कहा था कि यदि बड़े पैमाने पर लोगों को बाहर रखा गया है, तो अदालत हस्तक्षेप करेगी, और अब चौंकाने वाले आंकड़े सामने आ चुके हैं।
चुनाव आयोग (ECI) की ओर से वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि यह केवल ड्राफ्ट रोल है और जिन लोगों को आपत्ति है, वे सुधार आवेदन दे सकते हैं। उन्होंने माना कि इतनी बड़ी प्रक्रिया में कुछ त्रुटियां होना स्वाभाविक है। सुप्रीम कोर्ट ने ECI से पूछा कि कितने लोगों की पहचान मृतक के रूप में हुई है और इस पर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा।
SIR क्या है?
Special Intensive Revision (SIR) चुनाव आयोग की एक विशेष प्रक्रिया है, जिसमें मतदाता सूची को गहराई से अपडेट किया जाता है। इसमें नए पात्र मतदाताओं के नाम जोड़े जाते हैं, मृतक और स्थानांतरित लोगों के नाम हटाए जाते हैं और गलतियों को सुधारा जाता है।
आमतौर पर मतदाता सूची का वार्षिक पुनरीक्षण होता है, लेकिन SIR एक विशेष अभियान है, जो किसी राज्य या क्षेत्र में बड़े पैमाने पर चलाया जाता है। बिहार में यह प्रक्रिया 2025 विधानसभा चुनाव से पहले शुरू की गई, ताकि मतदाता सूची को सही और अद्यतन किया जा सके।
विवाद का कारण
बिहार में SIR के ड्राफ्ट लिस्ट में लगभग 65 लाख नाम हटाए जाने का दावा किया गया, जिससे यह मामला विवादों में आ गया। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निर्देश दिया था कि आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए, ताकि अधिक से अधिक पात्र मतदाता सूची में शामिल हो सकें। अब कोर्ट इस प्रक्रिया की पारदर्शिता और सही तरीके से पालन होने की जांच करेगा।