द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के महमूदाबाद में मंगलवार (24 सितंबर, 2025) की शाम एक गंभीर घटना घटी, जिसमें एक प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) अखिलेश प्रताप सिंह पर बेल्ट से हमला किया और उनका मोबाइल तोड़ दिया। घटना के दौरान बचाव में आए लिपिक प्रेमशंकर मौर्य से भी मारपीट की गई। नगर कोतवाली पुलिस ने बीएसए की तहरीर पर प्रधानाध्यापक बृजेंद्र कुमार वर्मा को हिरासत में ले लिया है और उनसे पूछताछ जारी है।
बीएसए अखिलेश प्रताप सिंह ने बताया कि वे अपने कार्यालय में कार्य निपटा रहे थे, तभी प्राथमिक विद्यालय नदवा के प्रधानाध्यापक बृजेंद्र कुमार वर्मा कार्यालय पहुंचे और अचानक अभद्रता शुरू कर दी। उन्होंने कार्यालय में प्रवेश करते ही अपनी बेल्ट से बीएसए पर वार किया। इस हमले में बीएसए के हाथ में चोट आई। आरोपी ने उनका मोबाइल भी छीनकर तोड़ दिया और कार्यालय की पत्रावली व कागजात फाड़ दिए। इसके अलावा, उन्होंने जान से मारने की धमकी भी दी।
पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लिया
बचाव में आए लिपिक प्रेमशंकर मौर्य को भी आरोपी ने पीटा। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और आरोपी को हिरासत में ले लिया। घटना का पूरा वीडियो सीसीटीवी में कैद हो गया है। पुलिस ने बीएसए का मेडिकल परीक्षण जिला अस्पताल में कराया।
बीएसए कार्यालय में इस प्रकार की अभद्रता कोई नई घटना नहीं है। पिछले वर्ष, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के पूर्व जिलाध्यक्ष सत्य प्रकाश मिश्र ने 3 सितंबर 2024 को कार्यालय में बीएसए से अभद्रता की थी। उस समय भी धमकाने और मारपीट की कोशिश की गई थी। सत्य प्रकाश की पत्नी कुमकुमलता मिश्रा पर फर्नीचर खरीद में घपले का आरोप था, जिसकी पुष्टि बीईओ की जांच में हुई थी।
प्रधानाध्यापक बृजेंद्र कुमार वर्मा ने BSA और लिपिक को बेल्ट से पीटा
महमूदाबाद के इस नए मामले में, प्रधानाध्यापक बृजेंद्र कुमार वर्मा को पहले स्पष्टीकरण देने के लिए पत्र जारी किया गया था। आरोप है कि उन्होंने षड़यंत्र रचकर कार्यालय में पहुँचकर बीएसए और लिपिक से मारपीट की। इस गंभीर हमले के बाद नगर कोतवाली पुलिस ने FIR दर्ज कर आरोपी को हिरासत में ले लिया है।
प्रभारी अधिकारी अनूप शुक्ल ने बताया कि पूछताछ के बाद आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। बीएसए अखिलेश प्रताप सिंह ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि कार्यालय में इस प्रकार की हिंसा अस्वीकार्य है और आरोपियों को कानून के तहत दंडित किया जाना चाहिए।
इस घटना ने न केवल शिक्षा विभाग के अधिकारियों की सुरक्षा पर सवाल उठाया है, बल्कि सरकारी कार्यालयों में कार्यकर्ताओं की सुरक्षा और प्रशासनिक ढांचे की मजबूती की आवश्यकता को भी उजागर किया है।