द लोकतंत्र : Tunnel Rescue Operation यूँ तो हम चाँद पर पहुँच चुके हैं और ज्ञान विज्ञान, तकनीकी के मामले में लगातार तरक्की कर रहे हैं लेकिन कुछ घटनाएं हमें घुटनों पर लाकर हमारी हद बता देती है। उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने का काम युद्धस्तर पर जारी है। हताशा और निराशा के बीच मजदूरों के परिजनों के लिए वक़्त काफी भारी बीत रहा है। मजदूरों के परिजनों का कहना है कि उन्हें हर दिन सिर्फ यह सुनने को मिलता है कि सिर्फ दो घंटे ही बचे हैं। लेकिन उन्हें नहीं पता कि ओर कितना समय लगेगा।
Tunnel Rescue Operation में आ रही बधाएं, मौसम भी बना दुश्मन
सुरंग में पिछले 15 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए जारी बचाव अभियान पर अभी विराम लगा हुआ है। कठिन परिस्थितियों के बीच अब मौसम भी राहत और बचाव कार्य में बाधा डालने को तैयार है। मौसम विभाग ने सोमवार को उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा के ऊपरी इलाकों में भारी बारिश के साथ-साथ बर्फबारी की संभावना व्यक्त की है। यह राहत व् बचाव अभियान चलाये रखने के लिए सही संकेत नहीं हैं।
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बचाव कार्य के लिए अमेरिकन ऑगर मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा था। लेकिन मशीन के अगले हिस्से के टूट जाने के बाद राहत कार्य बाधित है। हालाँकि, अब मैन्युअल तरीके से ड्रिलिंग कि बात की जा रही है और इसमें भारतीय सेना की एक विशेष टुकड़ी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त भी बैकअप प्लान के लिए ओएनजीसी ने विजयवाड़ा के पास नरसिंहपुर से मैग्ना कटर मशीन भी मंगाई है जो 4000 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पैदा करती है। सुरंग के भीतर फिलहाल प्लाज्मा कटर मशीन से औगर मशीन के बेकार हिस्से को काटकर निकाला जा रहा है।
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बता दें, दिवाली के दिन 12 नवंबर (रविवार) को निर्माणाधीन सुरंग भूस्खलन के बाद धंस गई थी जिसमें 41 मजदूर फंस गए हैं। फंसे हुए श्रमिकों में आठ राज्यों के मजदूर हैं जिनकी जिदंगी की जद्दोजहद जारी है। इनमें सबसे अधिक झारखंड के हैं. झारखंड के 15 लोग अंदर सुरंग में फंसे हैं, जबकि यूपी के 8, उत्तराखंड के 2, हिमाचल प्रदेश का एक, बिहार के 5, पश्चिम बंगाल के 3, असम के 2 और ओडिशा के 5 मजदूर सुरंग में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं।