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रोज़ाना Oats खाना बन सकता है नुकसानदेह: फाइबर और पोषण के अतिरेक से बचें, विशेषज्ञ ने दिए 5 आवश्यक सुझाव

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द लोकतंत्र : आधुनिक जीवनशैली में, ओटमील यानी ओट्स से बना नाश्ता स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के बीच एक प्रिय विकल्प बन चुका है। इसे फाइबर से भरपूर और पेट भरने वाला माना जाता है। हालाँकि, पोषण विशेषज्ञ अब चेतावनी दे रहे हैं कि किसी भी स्वास्थ्यवर्धक भोजन की तरह, ओट्स का अत्यधिक और रोज़ाना सेवन भी कुछ व्यक्तियों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। यह लेख रोज़ाना ओट्स खाने से जुड़े जोखिमों और उनसे बचने के संतुलित उपायों पर प्रकाश डालता है।

ओट्स को लंबे समय से एक सुपरफूड के रूप में देखा जाता रहा है, जो हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। दूध, फल, बीज और मेवों के साथ इसका सेवन इसे एक स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन बनाता है। लेकिन रोज़ाना एक ही तरह का भोजन खाने से शरीर को मिलने वाले पोषक तत्वों के विविधता (Nutrient Diversity) पर प्रभाव पड़ सकता है, जिसके कारण कुछ साइड इफेक्ट्स सामने आने लगते हैं।

भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय या अन्य पोषण संस्थानों द्वारा ओट्स के विरुद्ध कोई विशिष्ट चेतावनी जारी नहीं की गई है। हालाँकि, सभी आधिकारिक स्वास्थ्य दिशानिर्देश हमेशा संतुलित और विविध आहार पर ज़ोर देते हैं। यह सिद्धांत इस बात का समर्थन करता है कि किसी एक खाद्य पदार्थ पर पूरी तरह निर्भर रहना पोषण संबंधी कमियों का कारण बन सकता है।

विशेषज्ञों की राय: रोज़ाना ओट्स के 5 जोखिम

पोषण विशेषज्ञों ने रोज़ाना ओट्स खाने से जुड़ी पाँच बातों पर ध्यान देने की सलाह दी है:

  • ग्लूटेन सेंसिटिविटी और क्रॉस-कंटैमिनेशन: ओट्स स्वाभाविक रूप से ग्लूटेन-मुक्त होते हैं, लेकिन फैक्ट्रियों में गेहूं या जौ जैसे अनाजों के साथ प्रोसेसिंग के दौरान क्रॉस-कंटैमिनेशन हो सकता है। सीलिएक डिजीज से पीड़ित लोगों को केवल सर्टिफाइड ग्लूटेन-फ्री ओट्स ही चुनने चाहिए, अन्यथा पाचन संबंधी गंभीर समस्याएँ हो सकती हैं।
  • गैस और पाचन की समस्या: ओट्स में फाइबर की उच्च मात्रा होती है। यदि शरीर को अचानक फाइबर की अधिक मात्रा मिले, तो पेट फूलना, गैस और भारीपन महसूस हो सकता है। इसे रोकने के लिए फाइबर का सेवन धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए।
  • मिनरल्स का अवशोषण: ओट्स में फाइटिक एसिड नामक एक यौगिक होता है, जो कैल्शियम, आयरन और जिंक जैसे महत्वपूर्ण मिनरल्स के अवशोषण को बाधित कर सकता है। इस प्रभाव को कम करने के लिए ओट्स को खाने से पहले भिगोना या फर्मेंट करना एक प्रभावी उपाय है।
  • वजन बढ़ना: हालाँकि ओट्स वजन प्रबंधन में सहायक होते हैं, लेकिन यदि पोर्शन साइज़ पर ध्यान न दिया जाए तो यह वजन बढ़ा सकता है। 100 ग्राम ओट्स में लगभग 379 कैलोरी होती है। बड़े कटोरे में अतिरिक्त ड्राईफ्रूट्स और चीनी के साथ खाने पर कैलोरी इनटेक अनियंत्रित हो सकता है।
  • न्यूट्रिएंट डेफिशियेंसी: ओट्स सभी आवश्यक पोषक तत्वों का एकमात्र स्रोत नहीं है। रोज़ाना सिर्फ ओट्स खाने से प्रोटीन, कुछ विटामिन और आवश्यक मिनरल्स की कमी हो सकती है।

डॉक्टर की सलाह है कि ओट्स के स्वास्थ्य लाभ लेने और साइड इफेक्ट्स से बचने के लिए इसे संतुलित मात्रा में खाना बेहतर होता है। विशेषज्ञ हफ्ते में 2-3 बार ओट्स खाने और अन्य दिनों में स्मूदी, योगर्ट, या प्रोटीन रिच विकल्पों (जैसे अंडे या वेजिटेबल ऑमलेट) को अपनाने की सलाह देते हैं। विविध और संतुलित आहार ही लंबे समय तक अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है।

Uma Pathak

Uma Pathak

About Author

उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

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