द लोकतंत्र : मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सुरक्षा एजेंसियों को उस समय हाई अलर्ट पर आना पड़ा, जब एक ही दिन में दो सीआरपीएफ स्कूलों और तीन प्रमुख अदालत परिसरों को बम की धमकी वाले ईमेल प्राप्त हुए। यह घटनाक्रम सुरक्षा तंत्र के लिए एक गंभीर चुनौती पेश करता है, क्योंकि लक्षित स्थानों में शैक्षणिक संस्थान और उच्च-संवेदनशील न्यायिक परिसर शामिल थे। हालाँकि, दिल्ली पुलिस, बम स्क्वॉड और डॉग स्क्वॉड की टीमों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी स्थानों पर गहन जाँच की, जिसके बाद किसी भी तरह की संदिग्ध वस्तु बरामद नहीं हुई।
धमकी भरे ईमेल में दिल्ली के पांच महत्वपूर्ण स्थानों को निशाना बनाने का दावा किया गया था:
- सीआरपीएफ पब्लिक स्कूल, द्वारका
- सीआरपीएफ स्कूल, प्रशांत विहार
- साकेत कोर्ट परिसर
- रोहिणी कोर्ट परिसर
- पटियाला कोर्ट परिसर
सूचना मिलते ही दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ अधिकारियों की टीमें तुरंत मौके पर पहुँचीं। स्कूलों को एहतियातन तुरंत खाली कराया गया, ताकि छात्रों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। पुलिस के अधिकारियों ने बाद में पुष्टि की कि दोनों स्कूलों की विस्तृत तलाशी के दौरान कोई विस्फोटक सामग्री नहीं मिली।
न्यायालय परिसरों साकेत कोर्ट, रोहिणी कोर्ट और पटियाला कोर्ट साकेतहले से ही सुरक्षा व्यवस्था काफी सख्त रहती है। धमकी मिलने के बाद पुलिस ने इन स्थानों पर चेकिंग और एरिया डोमिनेशन को और भी बढ़ा दिया। व्यापक तलाशी अभियान के बाद, पुलिस ने सूचित किया कि न्यायालय परिसरों से भी कोई संदिग्ध सामग्री नहीं पाई गई और सभी स्थानों को सुरक्षित घोषित कर दिया गया है।
जैश-ए-मोहम्मद का नाम और साइबर जांच
पुलिस सूत्रों के अनुसार, धमकी भरा ईमेल जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammad) नाम के आतंकी संगठन की ओर से भेजा गया बताया जा रहा है। हालाँकि, जाँच एजेंसियाँ इस ईमेल की सत्यता और तकनीकी पहलुओं की गहन जाँच कर रही हैं।
- जाँच के पैरामीटर्स: साइबर सेल ईमेल की लोकेशन, सर्वर हिट्स और तकनीकी पैरामीटर्स की जाँच कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह धमकी असली आतंकी साज़िश है या किसी की शरारत (Hoax)।
- सतर्कता: दिल्ली पुलिस ने अधिकारी ने पुष्टि की है कि सभी स्थानों को सुरक्षित घोषित करने के बावजूद, पूरे शहर में सतर्कता बढ़ा दी गई है। विशेष रूप से, संवेदनशील क्षेत्रों और भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया है।
एक ही समय में कई महत्वपूर्ण स्थानों को निशाना बनाने वाले इस तरह के ईमेल संदेश साइबर-धमकी के बढ़ते चलन को दर्शाते हैं। भले ही यह एक शरारत (Hoax) साबित हो, इसने सुरक्षा एजेंसियों को उनकी तत्परता और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए मजबूर किया। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सुरक्षा बलों को अब न केवल भौतिक खतरों, बल्कि डिजिटल माध्यम से आने वाली मानसिक और परिचालन संबंधी चुनौतियों के लिए भी हमेशा तैयार रहना होगा। साइबर सेल द्वारा ईमेल भेजने वाले की पहचान करना इस तरह की भविष्य की घटनाओं को रोकने के लिए निर्णायक होगा।

