द लोकतंत्र : एक कहावत है कि दूध का जला छाछ भी फूंक कर पीता है। अखिलेश यादव ने राज्यसभा चुनाव में मिली सीख से सीखते हुए एमएलसी चुनाव के लिए सिर्फ़ तीन प्रत्याशियों को ही चुनाव में उतारेंगे। दरअसल, लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच एमएलसी चुनाव को लेकर एक बार सिर से सियासी टक्कर होगी। हालाँकि अखिलेश यादव ने इस बार पिछली ग़लतियों से सीखते हुए एमएलसी चुनाव के लिए बड़ा फैसला लिया है।
एमएलसी के 13 पदों के हो रहे चुनाव में सेफ़ गेम खेलेगी सपा
सपा ने एमएलसी के 13 पदों के लिए हो रहे चुनावों में सिर्फ तीन प्रत्याशियों को ही उतारेगी। अपने तीन प्रत्याशियों को जीताने के लिए समाजवादी पार्टी के पास पर्याप्त वोट है। सपा इसबार अतिरिक्त प्रत्याशी उतारने का जोखिम नहीं लेगी।
बीते दिनों राज्यसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने पूरे वोट नहीं होने के बावजूद एक अतिरिक्त प्रत्याशी उतारा था। हालाँकि समाजवादी पार्टी सिर्फ़ दो सीटों पर ही जीत सकी थी। अपने ही कुछ विधायकों की क्रॉस वोटिंग की वजह से सपा का एक उम्मीदवार फँस गया था।
क्या है एमएलसी चुनाव का गुना गणित
समाजवादी पार्टी के पास मौजूदा समय में कुल 108 विधायक है। इसके अलावा कांग्रेस के दो विधायक को मिलाकर यह संख्या 110 हो जाती है। सपा को अपने तीन एमएलसी प्रत्याशियों को जीत दर्ज कराने के लिए 87 वोट चाहिए। सपा के पास निर्धारित वोटों से ज़्यादा की संख्या में विधायक हैं। मतलब सपा आराम से अपने तीन एमएलसी प्रत्याशियों को जीता ले जाएगी। बता दें, यूपी विधानसभा में अभी कुल विधायकों की संख्या 399 है। एक एमएलसी की जीत के लिए 29 वोटों की ही जरुरत होगी।
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बता दें, यूपी में 21 मार्च को एमएलसी का चुनाव होगा। इसके लिए 11 मार्च से नामांकन पत्र भरे जाएंगे। 12 मार्च तक प्रत्याशी नामांकन वापस ले सकेंगे। 21 मार्च को ही एमएलसी चुनाव के नतीजे भी सामने आ जाएंगे।