द लोकतंत्र: बांग्लादेश इन दिनों गहरी राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। गोपालगंज, जो बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान का गृहनगर है, वहां बुधवार को बवाल मच गया। छात्रों की नई राजनीतिक पार्टी नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) की रैली पर कथित तौर पर अवामी लीग समर्थकों द्वारा हमला किया गया, जिसमें कम से कम 4 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए।
हिंसा का केंद्र रहा म्यूनिसिपल पार्क, जहां NCP एक जनसभा आयोजित कर रही थी। तभी करीब 200–300 लोगों की भीड़ लाठी-डंडों और पत्थरों से लैस होकर रैली स्थल पर पहुंची। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमले के समय पुलिसकर्मी मौके से हटते नजर आए, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।
गोपालगंज में हालात बिगड़ने पर सरकार ने BGB (बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश) की अतिरिक्त टुकड़ियों को तैनात कर दिया है। रात 8 बजे से 22 घंटे का कर्फ्यू लगा दिया गया है। टैंक गश्त की रिपोर्टें भी सामने आई हैं।
घायलों को गोपालगंज जनरल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों के मुताबिक, 4 लोगों को गोली लगी, जबकि 9 अन्य गंभीर रूप से घायल हैं।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप:
- NCP नेता नाहिद इस्लाम ने कहा कि रैली शांतिपूर्ण थी और पुलिस ने सुरक्षा का आश्वासन दिया था, लेकिन हमला पूर्वनियोजित था।
- अवामी लीग ने उल्टा आरोप लगाया कि हिंसा सेना और NCP कार्यकर्ताओं की मिलीभगत से हुई। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो में सेना के जवान कथित रूप से एक प्रदर्शनकारी को घसीटते दिख रहे हैं।
यूनुस सरकार की प्रतिक्रिया:
बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने कहा कि यह हिंसा “पूरी तरह अक्षम्य और शर्मनाक है”। उन्होंने दोषियों को बख्शे न जाने की बात कही है। उनका कहना है कि यह हमला अवामी लीग की छात्र शाखा और समर्थकों द्वारा किया गया, जो अब प्रतिबंधित हैं।
NCP का गठन 2025 में हुआ था और यह छात्र आंदोलन “मॉनसून क्रांति” से निकली एक ताकतवर युवा पार्टी बनकर उभरी है। NCP का नारा है, “मुजीबवाद से मुक्ति”, जिसे शेख हसीना की विरासत के खिलाफ खुली चुनौती माना जा रहा है।
बांग्लादेश की राजनीति अब एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। गोपालगंज की हिंसा, छात्रों की बगावत और सेना की कथित भूमिका यह सब देश में नए राजनीतिक अध्याय की आहट है।