द लोकतंत्र : आज के समय में लोग अपनी सेहत (Health) को लेकर पहले से कहीं ज्यादा जागरूक हो गए हैं। हर कोई चाहता है कि वह फिट, एक्टिव रहे और बीमारियां उससे कोसों दूर रहें। इसी जागरूकता के चलते, लोग तेजी से देसी नुस्खों और हर्बल सप्लीमेंट्स की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। हल्दी कैप्सूल, अश्वगंधा टैबलेट, और ग्रीन टी एक्सट्रैक्ट जैसे प्रोडक्ट्स को ‘नेचुरल’, ‘ऑर्गेनिक’ और ‘सेफ’ कहकर बेचा जाता है। कई लोगों की यही धारणा होती है कि अगर कोई चीज प्राकृतिक है, तो वह नुकसान नहीं पहुंचा सकती, लेकिन हकीकत इससे काफी अलग है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जब इन प्राकृतिक चीजों को सप्लीमेंट या कैप्सूल के रूप में ज्यादा मात्रा में लिया जाता है, तो ये शरीर को फायदा पहुंचाने की जगह गंभीर नुकसान भी पहुंचा सकती हैं। इसका सबसे बड़ा असर हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंग लिवर (Liver) पर पड़ता है। लिवर हमारे शरीर का फिल्टर है, जो खून साफ करने, टॉक्सिन्स बाहर निकालने और पाचन में मदद करता है। लेकिन कुछ हर्बल सप्लीमेंट्स लिवर पर इतना भार डाल देते हैं कि वह धीरे-धीरे खराब होने लगता है।
आइए जानते हैं 5 ऐसी हर्बल या प्राकृतिक चीजों के बारे में, जो दिखती तो देसी इलाज जैसी हैं, लेकिन लिवर की सेहत के लिए बड़ा खतरा बन सकती हैं:
हल्दी (Turmeric) कैप्सूल:
भारतीय घरों में हल्दी का इस्तेमाल तो सीमित मात्रा में खाने में करना फायदेमंद है, क्योंकि यह सूजन कम करने और इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए जानी जाती है। लेकिन अब हल्दी के सप्लीमेंट्स का चलन बढ़ गया है। समस्या तब आती है जब इसे जरूरत से ज्यादा मात्रा में लिया जाता है, जिससे लिवर पर दबाव बढ़ जाता है। कुछ रिसर्च ने संकेत दिया है कि ज्यादा हल्दी के सप्लीमेंट लेने से लिवर डैमेज और यहां तक कि किडनी स्टोन तक हो सकते हैं। इसलिए हल्दी को खाने में सीमित मात्रा में लेना ठीक है, लेकिन इसके सप्लीमेंट्स बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेने चाहिए।
अश्वगंधा (Ashwagandha) टैबलेट:
अश्वगंधा को भारतीय आयुर्वेद में एक बहुत ही ताकतवर औषधि माना गया है, जो तनाव कम करने, नींद बेहतर करने और एनर्जी बढ़ाने में मदद करती है। लेकिन आजकल इसके टैबलेट्स और पाउडर सप्लीमेंट के रूप में बिना डॉक्टर की राय के नियमित रूप से लिए जा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि इसकी मात्रा सही न हो या इसमें मिलावट हो, तो यह लिवर इंफ्लेमेशन और हेपटोटोक्सिसिटी (Hepatotoxicity – लिवर को जहरीला होना) जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। खासकर अगर आपको पहले से कोई लिवर की बीमारी है, तो अश्वगंधा के सप्लीमेंट से दूर रहना चाहिए।
ग्रीन टी एक्सट्रैक्ट (Green Tea Extract) कैप्सूल:
नियमित रूप से ग्रीन टी पीना सेहत के लिए ठीक है, लेकिन आजकल लोग तेजी से वजन घटाने और फैट कम करने के चक्कर में ग्रीन टी एक्सट्रैक्ट के कैप्सूल्स का सहारा ले रहे हैं। इन कैप्सूल्स में कैटेचिन्स (Catechins) नामक तत्व अत्यधिक मात्रा में मौजूद होता है। जब यह तत्व शरीर में ज्यादा मात्रा में पहुंचता है, तो यह लिवर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। कुछ गंभीर मामलों में तो लोगों को लिवर फेलियर तक हो गया है।
ब्लैक कोहोश (Black Cohosh):
ब्लैक कोहोश एक हर्बल जड़ी-बूटी है, जो मुख्य रूप से महिलाओं में मेनोपॉज (Menopause) के लक्षणों को कम करने के लिए ली जाती है। यह एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जिसे बिना डॉक्टरी सलाह के लेने पर लिवर में सूजन, पीलिया (Jaundice) या यहां तक कि हेपेटाइटिस (Hepatitis) जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। जिन महिलाओं को पहले से लिवर की कोई भी समस्या है, उन्हें इस सप्लीमेंट से तुरंत दूरी बना लेनी चाहिए।
रेड यीस्ट राइस (Red Yeast Rice):
रेड यीस्ट राइस को आमतौर पर कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें Monacolin K नामक एक तत्व पाया जाता है, जो सीधे लिवर पर असर डालता है। हर रेड यीस्ट राइस प्रोडक्ट में इस तत्व की मात्रा अलग-अलग होती है, इसलिए नुकसान की मात्रा का आकलन करना मुश्किल होता है। कुछ मामलों में इसके कारण लिवर एंजाइम बढ़ जाते हैं, जो आगे चलकर लिवर डैमेज की शुरुआत हो सकती है।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि ‘नेचुरल’ का मतलब हमेशा ‘सेफ’ नहीं होता है। किसी भी हर्बल सप्लीमेंट को शुरू करने से पहले, खासकर अगर आप पहले से कोई दवा ले रहे हैं या आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ (Dietician) की सलाह लेना अति आवश्यक है।

