द लोकतंत्र: भोपाल में इतिहास रचते हुए पहली बार किसी देहदान करने वाले व्यक्ति को मृत्यु के बाद राजकीय सम्मान दिया गया। यह सम्मान 79 वर्षीय बुजुर्ग रमा चौदा को प्रदान किया गया, जिनका पार्थिव शरीर शुक्रवार को परिजनों द्वारा गांधी मेडिकल कॉलेज को सौंपा गया। इस अवसर पर मध्यप्रदेश शासन के आदेशानुसार उनकी पार्थिव देह को गार्ड ऑफ ऑनर देकर सम्मानित किया गया।
दरअसल, कुछ समय पहले मध्यप्रदेश सरकार ने कैबिनेट बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया था कि देहदान और अंगदान करने वाले व्यक्तियों को मृत्यु के बाद राजकीय सम्मान दिया जाएगा। इसी निर्णय के तहत गांधी मेडिकल कॉलेज के इतिहास में यह पहला अवसर था जब किसी मृतक देह को इस तरह सम्मानित किया गया।
गांधी मेडिकल कॉलेज में हुआ पहला सम्मान
कार्यक्रम में गांधी मेडिकल कॉलेज की अधिष्ठाता डॉ. कविता एन. सिंह के नेतृत्व में मानव शरीर रचना विभाग के प्रभारी डॉ. संदीप मर्सकोले, संकाय सदस्य, स्नातकोत्तर छात्र और कर्मचारी मौजूद रहे। सभी ने सम्मानपूर्वक रमा चौदा की पार्थिव देह को ग्रहण किया।
समाज के लिए प्रेरणादायी उदाहरण
विशेषज्ञों का मानना है कि देहदान जैसे कार्य न केवल मेडिकल शिक्षा और रिसर्च के लिए उपयोगी हैं, बल्कि यह समाज के लिए भी एक बड़ा प्रेरणास्रोत हैं। रमा चौदा का यह कदम आने वाली पीढ़ियों को देहदान और अंगदान के महत्व को समझने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, मेडिकल कॉलेजों में देहदान से विद्यार्थियों को वास्तविक शरीर रचना का अध्ययन करने में मदद मिलती है। यह शिक्षा और अनुसंधान को मजबूती प्रदान करता है।
सरकार की पहल और लोगों की भागीदारी
मध्यप्रदेश सरकार की इस पहल को समाज से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। अब उम्मीद की जा रही है कि अधिक लोग देहदान और ऑर्गन डोनेशन की ओर आगे आएंगे। यह न केवल मेडिकल क्षेत्र को सशक्त बनाएगा, बल्कि जरूरतमंदों के जीवन को भी बचा सकेगा।
रमा चौदा का यह योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। वह न केवल अपने परिवार के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व बन गई हैं।