द लोकतंत्र/ सुदीप्त मणि त्रिपाठी : सर पर छत नहीं है लेकिन बात सितारों की हो रही है। धूप में बदन झुलस रहा है और बात अंतरिक्ष के नज़ारों की हो रही है। यह सस्ती सी शायरी मैंने जस्ट अभी लिखी है लेकिन देवरिया के साथ जो हो रहा है उसपर यह पंक्तियाँ सटीक बैठती हैं। देवरिया से हूँ, दिल्ली में बैठा हूँ और सदर सांसद और विधायक चुनने में एक अदद वोट का योगदान मेरा भी है इसलिए अपने वोट से चुने गये जनप्रतिनिधियों के क्रियाकलापों पर क़रीब से नज़र रहती है। पत्रकारीय पेशे से जुड़े होने के कारण जनपद की खबरों से भी राब्ता है। यक़ीन मानिए दुख होता है जब यह देखता हूँ कि ज़रूरतों को नज़रअंदाज़ कर बेजा बातों और कार्यों में श्रम, समय, साधन का दुरुपयोग होता है।
सपना चांद तक पहुंचने का हो, और ज़मीन पर छांव तक न मिले तो सोचिए इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या ही हो सकता है। नारायणी नदी के तट पर IN-SPACe और ISRO की टीमों ने CANSAT प्रतियोगिता के तहत मॉडल रॉकेट का सफल ट्रायल कर लिया लेकिन देवरिया बस डिपो पिछले कई वर्षों से विकास की ऑर्बिट में स्थापित नहीं हो सका है। यह हास्यास्पद ही है कि जिस जनपद से रॉकेट उड़ रहा है, उसी ज़िले का रोडवेज डिपो पिछले कई वर्षों से उपेक्षित पड़ा हुआ है। देवरिया का यह दुर्भाग्य ही है कि यहां प्रशासनिक ऊर्जा का फ्यूल रॉकेटों में ज्यादा खर्च होता है और जनता को सिर्फ वादों का धुआं मिलता है। कभी एक मंत्री साहब बोले थे, ’48 घंटे में काम शुरू होगा’ लेकिन अब 48 महीने हो गए, और छांव की जगह सामाजिक सहयोग से लगी टीन की तपिश है।
सांसद जी, जनता के रिपोर्ट कार्ड में आपके मार्क्स औसत से कम हैं
देवरिया बस डिपो आज एक खुले मैदान में तब्दील हो चुका है जहाँ ना छाँव है, ना शौचालय, ना बैठने की जगह, और ना ही इंसानी गरिमा की कोई व्यवस्था। लेकिन, सांसद जी एसी कार में बैठकर ‘विकास’ के रॉकेट के बारे में फ़ेसबुक लाइव में बता रहे हैं। मोबाइल स्टैंड पर कैमरा फिट है, कुर्ते की सिलवटें दुरुस्त हैं और सांसद महोदय कार की एसी ठंडी हवा में बैठकर पसीने में डूबे आमजन को ‘आश्वासनों’ की ठंडी फुहार दे रहे हैं। सोशल मीडिया की दुनिया में वे ‘विकास यात्रा’ पर हैं लेकिन ज़मीन पर हालात अलहदा हैं। आपने अपने एक साल के तथाकथित विकास का रिपोर्ट कार्ड भी तैयार कर लिया है लेकिन जनता के रिपोर्ट कार्ड में आपको औसत से भी कम नंबर आये हैं। और, मुझे यक़ीन है कि आप अपना नंबर बढ़ाने के लिए पूरी मेहनत करेंगे।
मुझे उम्मीद है कि आप इस बात का बुरा नहीं मानेंगे क्योकि एक जनप्रतिनिधि के पहले आप भी देवरिया के नागरिक हैं और इस बात को बखूबी समझते होंगे कि जनपद में बस अड्डे के कायाकल्प की ज़रूरत कितनी है। ठीक है, आप रॉकेट उड़ाइये, देवरिया के छात्रों को स्पेस टेक्नोलॉजी के बारे में क़रीब से समझाइए, किसी को अब्दुल कलाम बनाइए तो कोई छात्र देश और देवरिया का पताका अंतरिक्ष में लहराये लेकिन मौजूदा दौर की जो सबसे महत्वपूर्ण ज़रूरत है वह सर्व सुविधाओं से युक्त स्थायी बस अड्डे का निर्माण, उसे अनदेखा मत कीजिए प्लीज़।
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हालाँकि आज मौसम थोड़ा बेहतर था। लेकिन, हर दिन आज की तरह नहीं है। तापमान दिनों दिन बढ़ रहा है, लोग झुलस रहे हैं। पानी, शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं। आपके द्वारा बस अड्डे के दौरे को भी माह भर से ज़्यादा हो गया। आपकी आँखो में कम से कम शर्मिंदगी का थोड़ा पानी तो आम जन के लिए शेष हो। एक फ़ेसबुक लाइव इस मुद्दे को लेकर भी कर लीजिए। सांसद का संवाद एकतरफ़ा न हो ऐसा प्रयास कम से कम आपको तो करना ही चाहिए। आप आईआईटी पास आउट हैं संयोग से आपकी प्रशासनिक टीम भी उसी अर्हता की है। इस दिशा में ठोस काम कीजिए प्लीज़।
यह जो सबकुछ लिखा है इसमें मैंने परिवहन मंत्री और देवरिया के प्रभारी मंत्री का ज़िक्र नहीं किया है जिनकी ज़िम्मेदारी और जवाबदेही सबसे ज़्यादा है। ज़िक्र इसलिए नहीं किया है कि क्योंकि वह बीते कई सालों से एक ही बयान दोहरा रहे हैं कि जल्द बनेगा, अत्याधुनिक बनेगा, विश्वस्तरीय बनेगा। बार बार ज़िक्र करके मुझे ख़ुद शर्मिंदगी महसूस हो रही है कि क्यों मैं अपने शब्द उसके लिए खर्च कर रहा हूँ जिसके बातों की कोई वैल्यू ही नहीं। ख़ैर, मुझे आपके अगले फ़ेसबुक लाइव का इंतज़ार है जिसमें आप इस बात का ज़िक्र करेंगे कि ‘देवरिया बस डिपो की बदहाली के दिन लदने वाले हैं, मेरे प्रयास से काम शुरू हो गया है।’