द लोकतंत्र: दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर फिजूलखर्ची को लेकर विवाद छिड़ गया है। इस बार मामला मोबाइल फोनों की खरीद से जुड़ा है। दिल्ली की भाजपा सरकार ने आम आदमी पार्टी (AAP) की पूर्ववर्ती सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए एक लिस्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अपने कार्यकाल के दौरान एक लाख रुपये से ज्यादा कीमत के कई महंगे मोबाइल फोन खरीदे।
सरकारी दस्तावेजों के आधार पर जारी की गई इस लिस्ट में बताया गया है कि अरविंद केजरीवाल ने साल 2015 से 2022 के बीच चार महंगे आईफोन खरीदे। इनमें पहला फोन दिसंबर 2015 में खरीदा गया, जिसकी कीमत थी 81,000 रुपये और वह iPhone 6s Plus था।
इसके बाद 2017 में उन्होंने iPhone 7 Plus खरीदा जिसकी कीमत 69,000 रुपये बताई गई। साल 2020 में उन्होंने iPhone 12 Pro Max लिया, जिसकी कीमत 1,39,900 रुपये थी। अंततः साल 2022 में केजरीवाल ने iPhone 13 Pro Max with accessories खरीदा जिसकी कुल कीमत 1,63,900 रुपये थी।
इतना ही नहीं, मनीष सिसोदिया ने भी अपने कार्यकाल के दौरान एक लाख रुपये से ज्यादा कीमत वाले कई मोबाइल फोन खरीदे। यह लिस्ट ऐसे वक्त में सामने आई है जब आम आदमी पार्टी ने हाल ही में भाजपा सरकार द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री को 1.5 लाख रुपये तक का फोन खरीदने की अनुमति दिए जाने को अनावश्यक खर्च बताया था।
AAP ने भाजपा सरकार के इस निर्णय पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी और जनता के पैसों की बर्बादी का आरोप लगाया था। लेकिन अब जब खुद AAP सरकार की फाइलों से यह तथ्य सामने आए हैं कि उन्होंने भी उतनी ही या उससे ज्यादा कीमत के फोन खरीदे, तो सवाल उठने लगे हैं कि क्या जनता के पैसे की फिक्र केवल विपक्ष में रहते हुए ही होती है?
इस पूरे विवाद ने एक बार फिर राजनीतिक नैतिकता और सरकारी खर्च की प्राथमिकताओं पर बहस को जन्म दे दिया है। क्या जनप्रतिनिधियों को ऐसे महंगे फोन की जरूरत होती है, या यह सिर्फ एक स्टेटस सिंबल बनकर रह गया है?