द लोकतंत्र: एक्सिओम-4 मिशन (Axiom-4 Mission) के तहत स्पेस में गए भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम अब सुरक्षित धरती पर लौटने की प्रक्रिया में हैं। 18 दिन के अंतरिक्ष प्रवास के बाद उनका स्पेसक्राफ्ट “ड्रैगन” अब 28 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। नासा और स्पेसएक्स के कंट्रोल सेंटर्स की नजर इस मिशन की हर गतिविधि पर टिकी हुई है, वहीं भारतवासी अपने अंतरिक्ष नायक की सुरक्षित वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
वापसी से पहले चुनौतियों का सामना
इस मिशन की शुरुआत से ही कुछ तकनीकी और पर्यावरणीय चुनौतियां बनी रहीं। पहले Falcon-9 रॉकेट में लिक्विड ऑक्सीजन लीक की खबर आई, फिर ड्रैगन कैप्सूल में सिस्टम फेल्योर के संकेत मिले। इसके अलावा, मौसम ने भी कई बार मिशन की प्रगति को प्रभावित किया। ये सारी स्थितियां 2003 के कोलंबिया स्पेस शटल हादसे की यादें ताजा कर देती हैं, जहां मिशन की वापसी से कुछ मिनट पहले ही दुर्घटना हो गई थी।
तापमान और गति से होगा अग्निपरीक्षा
फिलहाल ड्रैगन कैप्सूल, जिसका नाम “ग्रेस” है, अटलांटिक महासागर में सॉफ्ट स्प्लैशडाउन (Soft Splashdown) के ज़रिए उतरने की तैयारी में है। यह प्रक्रिया अमेरिका के फ्लोरिडा तट के पास संपन्न होगी। इस दौरान ड्रैगन की बाहरी सतह का तापमान 2000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है, जिसे हीट शील्ड के माध्यम से नियंत्रित किया जाएगा। जैसे-जैसे कैप्सूल पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा, इसकी गति को भी कम किया जाएगा।
मौसम बना चुनौती
यूरोपियन स्पेस एजेंसी के मुताबिक, स्प्लैशडाउन के समय तेज हवाएं, बारिश या तूफानी हालात मिशन के लिए संकट बन सकते हैं। यही कारण है कि लैंडिंग के लिए अंतिम निर्णय मौसम अपडेट के आधार पर लिया जाएगा। शुभांशु शुक्ला की सुरक्षित वापसी को लेकर जहां वैज्ञानिक सतर्क हैं, वहीं देशभर में उत्सुकता और गर्व का माहौल है।