द लोकतंत्र:
चीन द्वारा रियर अर्थ मैटेरियल्स की निर्यात नियंत्रण और आपूर्ति बाधाओं के बीच भारत ने एक बड़ा कदम उठाया है। सेंट्रल गवर्नमेंट ने ₹1,345 करोड़ की नई योजना की घोषणा की, जिसका उद्देश्य घरेलू रूप से Rare Earth Magnets का उत्पादन बढ़ाना है। ये मैग्नेट्स इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, वेल्ड टर्बाइन्स, स्पेस और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे हाई‑टेक सेक्टरों के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
क्यों यह पहल महत्वपूर्ण है?
यह नीति भारत की स्ट्रेटेजिक आत्मनिर्भरता (Strategic Self-Reliance) को बढ़ावा देगी। चीन की एकाधिकारवादी स्थिति को तोड़ते हुए, भारत स्थानीय निर्माण के जरिए अपने सप्लाई चेन को मजबूत कर सकता है। उन कंपनियों को वैश्विक प्रतियोगिता में आगे आने का मौका मिलेगा जिन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) और क्लीन एनर्जी सेक्टर में निवेश किया है ।
भारतीय कंपनियां तैयार, उद्योग को मिलेगी गति
भारतीय कंपनियों द्वारा इस पहल में गहरी रुचि दिखाई गई है। केंद्र सरकार की योजना में घरेलू Rare Earth Magnets बनाने की क्षमता विकसित करने के लिए कंपनियां उत्सुक हैं। इससे न केवल उत्पादन क्षमता बढ़ेगी बल्कि यह भविष्य के तकनीकी सेक्टर में भारत की कमज़ोरियों को कम करने वाला कदम साबित होगा ।
अन्य महत्त्वपूर्ण योजनाएँ: स्वच्छ निर्माण और इलेक्ट्रिक ट्रक
इस योजना के साथ सरकार ने अन्य महत्त्वपूर्ण कदम भी उठाए हैं:
केंद्र सरकार अगले वित्त वर्ष 2027-28 से सभी केंद्रीय परियोजनाओं में Green-rated Steel का उपयोग अनिवार्य करेगी। यह नीति अगले आठ वर्षों तक लागू रहेगी और स्थायी निर्माण में एक बड़ा बदलाव लाएग।
PM E‑DRIVE योजना के तहत इलेक्ट्रिक ट्रकों को बढ़ावा देने के लिए प्रति वाहन ₹9.6 लाख तक की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इस योजना के लिए ₹500 करोड़ का विशेष आवंटन किया गया है, और SAIL 150 ई‑ट्रक खरीदने की योजना बना रहा है।
बड़े पैमाने पर प्रभाव
ये नीतियाँ भारत को जीवन‑शैली और राजनीति से परे तकनीकी आंदोलन में आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ाएँगी।
EV और Clean Energy सेक्टर उद्योगों को नई राह मिलेगी।
स्थानीय Rare Earth Magnets उन्नयन से भारत वैश्विक क्वालिटी मानकों पर खरा उतर पाएगा।
साथ ही, Green Steel की मांग से निर्माण क्षेत्र में पर्यावरण‑मित्र विकल्पों को अपनाने की प्रवृत्ति अजेय गति पकड़ेगी।
यह पहल सिर्फ एक आर्थिक नीति नहीं, बल्कि चीन के साथ गहरी रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का जवाब है। ₹1,345 करोड़ योजना, Green Steel नियम, EV ट्रक प्रोत्साहन जैसे संयोजन ने भारत की तकनीकी और पर्यावरणीय दृष्टि को एक नए युग में प्रवेश दिया है।