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यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी फिलहाल टली, ब्लड मनी से बच सकती है जान

Indian nurse Nimisha Priya's hanging in Yemen jail postponed for now, life can be saved with blood money

द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में मिली फांसी की सजा फिलहाल टाल दी गई है। यह फैसला उस वक्त आया है जब भारत सरकार, सामाजिक संगठनों और निमिषा के परिजनों द्वारा अंतिम क्षणों तक की जा रही कूटनीतिक और मानवीय कोशिशें तेज़ थीं। 16 जुलाई 2024 को फांसी की तारीख तय थी, लेकिन यमन सरकार ने आखिरी क्षणों में इसे रोकने का निर्णय लिया है। यह राहत भरी ख़बर पीटीआई की रिपोर्ट से सामने आई है।

हत्या, फांसी और शरिया कानून की तलवार

निमिषा प्रिया, केरल के पलक्कड़ की रहने वाली हैं। वह 2008 में यमन में बतौर नर्स काम करने गई थीं। साल 2017 में उन पर स्थानीय नागरिक तलाल एब्दो महदी की हत्या का आरोप लगा, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। आरोप था कि उन्होंने अपने पासपोर्ट की ज़ब्ती से परेशान होकर महदी को बेहोशी का इंजेक्शन दिया, जिससे ओवरडोज़ की वजह से उसकी मौत हो गई। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया कि शव के टुकड़े कर पानी की टंकी में डाल दिए गए थे।

यमन में लागू शरिया कानून के तहत उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। इस्लामी न्याय व्यवस्था में यदि पीड़ित परिवार चाहे तो ‘ब्लड मनी’ (दियाह) के बदले दोषी को माफ किया जा सकता है। अब यही आखिरी रास्ता निमिषा को फांसी से बचा सकता है।

इंसाफ की तलाश: परिवार और भारत सरकार की कोशिशें

2020 में स्थानीय अदालत ने सज़ा सुनाई, जिसे 2023 में यमन के सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा। जनवरी 2024 में हूती विद्रोहियों की सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल के अध्यक्ष ने सज़ा पर अंतिम मुहर लगा दी। इसके बाद से निमिषा के परिजन हर स्तर पर माफ़ी की अपील करने में जुटे हैं। उनकी मां, जो खुद घरेलू कामगार हैं, इस साल से यमन में डेरा डाले हुए हैं और बेटी को फांसी से बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं। उन्होंने यमन के सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम को पीड़ित परिवार से बातचीत के लिए अधिकृत किया है।

10 लाख डॉलर की ब्लड मनी पेशकश

निमिषा को बचाने के लिए भारत में कई सामाजिक संगठनों ने अभियान चलाया। ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ के नाम से एक अभियान शुरू हुआ है, जो जनता से 10 लाख डॉलर की रकम जुटाकर ब्लड मनी के तौर पर महदी परिवार को देने की पेशकश कर चुका है। लेकिन यह तभी संभव होगा जब मृतक के परिजन माफ़ी देने के लिए सहमत हों।

वहीं, भारत सरकार भी इस मामले को गंभीरता से ले रही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने दिसंबर 2023 में बयान जारी करते हुए कहा था कि भारत सरकार यमन में फंसी अपनी नागरिक की हर संभव मदद कर रही है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि मामला अब शरिया कानून के तहत है और अंतिम निर्णय मृतक के परिवार पर ही निर्भर करता है।

यमन की जेल में सात साल

34 वर्षीय निमिषा 2017 से यमन की राजधानी सना की केंद्रीय जेल में बंद हैं। उनके पति और बेटी साल 2014 में भारत लौट आए थे, लेकिन गृहयुद्ध के कारण निमिषा यमन में फंस गईं। उसी दौरान उनके ऊपर यह सनसनीखेज मामला दर्ज हुआ। उनके वकीलों का तर्क था कि महदी ने उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया और बंदूक़ की नोक पर डराया। इसी के चलते उन्होंने दवा का सहारा लिया लेकिन दुर्भाग्यवश मामला हत्या में बदल गया।

अब जब फांसी पर रोक लगाई गई है, निमिषा के पास जीवनदान पाने का एकमात्र विकल्प ब्लड मनी के बदले माफ़ी है। अगर ब्लड मनी पर सहमति बन जाती है, तो यह फैसला लाखों प्रवासी भारतीयों के लिए एक उम्मीद की किरण बन सकता है। फिलहाल देश की नज़र यमन की अदालत और उस परिवार पर है, जिसकी माफ़ी से एक ज़िंदगी बच सकती है।

Team The Loktantra

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