द लोकतंत्र/ मध्य प्रदेश : जब दुनिया भू-राजनीतिक अस्थिरताओं और तकनीकी प्रतिस्पर्धाओं के दौर से गुजर रही है, ऐसे समय में भारत को आत्मनिर्भर बनने की सबसे अधिक आवश्यकता है खासतौर पर रक्षा तकनीक के क्षेत्र में। इस दिशा में मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ ज़िले के नौगांव क्षेत्र से आने वाले महज 16 साल के छात्र प्रखर विश्वकर्मा का सपना भारत की उम्मीद बनकर उभर रहा है।
वर्तमान में बंसल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, भोपाल में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र प्रखर के बालमन में एक सपना वर्षों से पल रहा है खगोल वैज्ञानिक बनने का। आकाश, तारे, रॉकेट और मिशनों की दुनिया में खोए प्रखर ने छोटी उम्र में ही अपने सपने को साकार करने की ठानी है। यही कारण है कि उन्होंने घर के कबाड़ और सामान्य सामान से एक ऐसी मिसाइल विकसित करने की ठानी है, जो दुश्मन पर हमला करने के बाद खुद-ब-खुद लॉन्चपैड पर वापस लौट सकती है। हालाँकि, प्रखर की यह सोच अभी इनोवेशन फ़ेज में है और अगर सब सही रहा तो प्रखर के आविष्कार भारत की रक्षा प्रणाली में क्रांति ला देगा।
RAM: बालमन से निकला रक्षा इनोवेशन
प्रखर के इस प्रोजेक्ट का नाम है ‘रिलॉन्च ऑटोमैटिक मिसाइल (RAM)’, जो एक पुनः प्रयोग की जा सकने वाली मिसाइल प्रणाली है। इसकी खासियत है कि यह एक बार लॉन्च होने के बाद वापस लौट सकती है और दोबारा उपयोग में लाई जा सकती है। इससे भारत के रक्षा क्षेत्र में न केवल सामरिक बढ़त मिलेगी, बल्कि भारी आर्थिक बचत भी हो सकेगी। द लोकतंत्र से बातचीत के दौरान प्रखर ने बारीकी के साथ अपने इस इनोवेशन पर बात की और सभी पहलुओं पर प्रकाश डाला।
द लोकतंत्र से बातचीत के दौरान प्रखर बताते हैं कि यह प्रोजेक्ट 70% पूरा हो चुका है। RAM मिसाइल में ड्यूल इंजन सिस्टम, 5–6 किमी मारक क्षमता, 400 मीटर/सेकंड की गति, और स्वदेशी फ्यूल (कैरोसिन, पोटेशियम नाइट्रेट, सोडियम क्लोरेट का मिश्रण) का उपयोग किया गया है। यह इनोवेशन इस समय टेस्टिंग और लॉन्चपैड कंस्ट्रक्शन की प्रक्रिया में है।
अंतरिक्ष से जुड़ाव, ISRO से सम्मान
प्रखर ने इसरो के चंद्रयान-3 और आदित्य एल1 मिशन की लॉन्चिंग में भाग लिया और ISRO-नासा की स्पेस क्विज में भी पुरस्कार जीते। उन्होंने MSME में अपनी कंपनी रजिस्टर्ड करवाई है, जो साइंटिफिक रिसर्च और डेवलपमेंट पर काम करती है, RAM प्रोजेक्ट उसी का हिस्सा है। वे अपने सेवानिवृत्त बैंककर्मी नाना श्री सीताराम विश्वकर्मा के साथ रहते हैं, जो उनके सपनों को आकार देने में प्रेरणा स्त्रोत हैं।
क्यों महत्वपूर्ण है यह प्रयास?
जब पूरी दुनिया रक्षा टेक्नोलॉजी में अग्रणी बनने की होड़ में है, भारत के सामने भी आत्मनिर्भरता की चुनौती है। ऐसे में प्रखर जैसे युवाओं के इनोवेशन भारत को न केवल तकनीकी बल प्रदान करेंगे, बल्कि यह दिखाएंगे कि बालमन में जन्मा एक विचार भी राष्ट्रीय सामरिक शक्ति का आधार बन सकता है। अगर RAM जैसी तकनीक को DRDO या ISRO जैसे संस्थानों से समर्थन मिलता है, तो यह भारत की सैन्य तैयारियों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
प्रखर विश्वकर्मा का सपना केवल उनका निजी सपना नहीं रह गया है यह अब भारत के नवाचार, आत्मनिर्भरता और अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनने के जुनून की मिसाल बन चुका है। प्रखर जैसे युवा ही आगे चलकर एपीजे अब्दुल कलाम जैसे वैज्ञानिक बनते हैं। प्रखर की सोच यह बताती है कि भारत के युवाओं में अपने देश के प्रति कितना प्यार और सम्मान है।