द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) की सुनामी ने ग्लोबल टेक इंडस्ट्री का खेल बदल दिया है और इस लहर का सबसे बड़ा विजेता बनकर उभरा है NVIDIA। मंगलवार को कंपनी ने वो मील का पत्थर छू लिया, जिसकी कल्पना कुछ साल पहले तक असंभव लगती थी। NVIDIA का मार्केट कैपिटलाइजेशन $5 ट्रिलियन के पार पहुँच गया, और इसे हासिल करने वाली दुनिया की पहली कंपनी बन गई। ये सिर्फ एक कॉर्पोरेट उपलब्धि नहीं, AI युग के आधिकारिक आगमन की घोषणा है।
एनवीडिया बना दुनिया का टेक बादशाह
एनवीडिया की कहानी किसी टेक-थ्रिलर से कम नहीं। जून 2023 में कंपनी ने $1 ट्रिलियन मार्क पार किया था। उसके बाद मानो रफ़्तार ही बदल गई। फरवरी 2024 में $2 ट्रिलियन, जून 2024 में $3 ट्रिलियन और अब अक्टूबर 2025 में $5 ट्रिलियन की ऐतिहासिक छलांग। एनवीडिया आज न सिर्फ वॉल स्ट्रीट की शान है, बल्कि टेक्नोलॉजी कॉस्मोस का ध्रुवतारा भी बन चुकी है।
AI निवेश में विस्फोट, मार्केट कैप छुआ आसमान
इस meteoric rise के पीछे एक बड़ा राजनीतिक ट्रिगर भी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के AI सेक्टर को सरकारी सपोर्ट और टैक्स इंसेंटिव बढ़ाने वाले संकेत देते ही NVIDIA के शेयरों में लगभग 5% की छलांग लगी। एक ही दिन में कंपनी की वैल्यू $300 बिलियन बढ़ी वो भी किसी टेक IPO की तरह नहीं, बल्कि खुले मार्केट में। कारोबार विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप की घोषणा ने ग्लोबल AI इकोसिस्टम में नए निवेश की उम्मीदों को पंख दे दिए।
एनवीडिया की असाधारण ग्रोथ का जनरेटर है AI चिप्स की क्रांति। कंपनी के सुपर-चिप्स OpenAI, Google, Microsoft, Meta और दुनिया भर के मेगा डाटा सेंटर्स के दिमाग को ऊर्जा दे रहे हैं। पिछले 12 महीनों में एनवीडिया के स्टॉक में 350% से अधिक उछाल आया। विश्लेषकों का अनुमान है कि AI सर्वर, क्वांटम-स्केल प्रोसेसिंग और जेनरेटिव AI टेक्नोलॉजी की मांग आने वाले समय में कंपनी को और ऊँचाइयों पर ले जा सकती है।
NVIDIA का वर्चस्व: बिग टेक को पीछे छोड़ा
सबसे रोचक तुलना NVIDIA आज भारत की पूरी GDP (लगभग $4.2 ट्रिलियन) से भी बड़ी कंपनी बन गई है। सोशल मीडिया पर लोग इसे ‘AI का Apple मोमेंट’ कह रहे हैं, वहीं कई टेक एक्सपर्ट इसे ’21वीं सदी की इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन’ का टर्निंग पॉइंट बता रहे हैं। नतीजा साफ़ है, NVIDIA का $5 ट्रिलियन मार्केट कैप सिर्फ एक कॉर्पोरेट जीत नहीं; यह संदेश है कि दुनिया अब AI-ड्रिवन इकोनॉमी की ओर मुड़ चुकी है। जो देश और कंपनियाँ AI को अपनाएँगी, वही भविष्य लिखेंगी; बाकियों का इतिहास लिखा जाएगा।

