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…तो आख़िर बोतल में बंद जिन्न निकल आया, CAA की टाइमिंग ध्रुवीकरण को देगी धार

...So finally the genie in the bottle came out, CAA's timing will give edge to polarization

द लोकतंत्र : भारतीय जनता पार्टी लगातार 400+ सीटों का दावा करती आ रही है। सबके ज़ेहन में एक सवाल ज़रूर था कि आख़िर इस दावे के पीछे का लॉजिक क्या है? विपक्ष अक्सर इस दावे की खिल्लियाँ उड़ाते नज़र आते थे। लेकिन 11 मार्च 2024 को बोतल से वह जिन्न निकला है जो भाजपा की सभी ख़्वाहिशों को साकार रूप देगा। देशभर में CAA लागू करने के लिए रमज़ान से बेहतर टाइमिंग नहीं हो सकती थी। भाजपा के हिंदुत्व के एजेंडे को धार देने के लिए यह तारीख़ न सिर्फ़ मुफ़ीद थी बल्कि एक व्यापक संदेश निहित किये हुए भी है।

जबसे नोटिफिकेशन आया है तभी से आप महसूस कर रहे होंगे माहौल बदल सा गया है। सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म और यहाँ तक की विपक्ष की ज़ुबान तक पर CAA चढ़ चुका है। विपक्षी दल जहां विरोध में अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कर रहे हैं वहीं एक बड़े वर्ग को इस अधिसूचना के जारी होने से परम सुख की प्राप्ति हुई है।

बोतल से निकला जिन्न – बोला, हुकुम मेरे आका

देश में माहौल ने किस कदर भाजपा के पक्ष में अँगड़ायी ली है उसे एक बेहद छोटे और सच्चे उदाहरण से समझाता हूँ। दरअसल, दिन में तीन चार मर्तबा मैं ( सुदीप्त मणि त्रिपाठी) चाय पीने बाहर जाता हूँ। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद शाम को चाय की दुकान पर जो आज सबसे हॉट टॉपिक था वह था CAA का पूरे देश में लागू होना। वह सभी लोग जो ख़ुद आर्थिक असमानता के शिकार हैं, जिनके पास रोज़गार नहीं है, जो पाँच किलो राशन पर अपनी ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं, जो कदम कदम पर शोषण के शिकार हो रहे हैं, और जिन्हें व्यक्तिगत तौर पर इस क़ानून से कोई फ़ायदा नहीं होने वाला वह सभी इस क़ानून के लागू होने से इतने खुश हैं जैसे प्रधानमंत्री मोदी ने उनके खाते में 15 लाख भेज दिये हों।

क्या आप जानते हैं यह ख़ुशी क्यों है? जी, आपने बिलकुल सही अनुमान लगाया है। दरअसल, इस क़ानून को लेकर जिस तरह का नैरेटिव सेट किया गया है उसके मुताबिक़ यह हिंदू राष्ट्र की ओर भाजपा द्वारा बढ़ाया गया एक प्रभावी कदम है। CAA क़ानून के अंतर्गत तीन मुस्लिम देशों में रह रहे गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों मसलन हिन्दुओ, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को भारत में आने के बाद ‘भारतीय’ कहलाने की पहचान मिलेगी। यानी उन्हें आसानी से भारत की नागरिकता मिल जाएगी। हालाँकि इसमें मुस्लिम वर्ग को शामिल नहीं किया गया है।

CAA का लागू हो जाना सामान्य राजनीतिक परिघटना नहीं

कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति, राम मंदिर निर्माण के बाद अब CAA का लागू हो जाना यह सामान्य राजनीतिक परिघटना नहीं है। विपक्ष लाख दावे कर ले, लाख बेरोज़गारी, महँगायी, भ्रष्टाचार, पेपर लीक की बातें कर ले लेकिन जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘जो कहा सो किया’ के नारे से प्रभावित होकर ही वोट करने वाली है। यह एक साइकोलॉजिकल प्रेशर है जो भाजपा आम जनमानस के ज़ेहन में उतार चुकी है।

कैसे करेंगे मुक़ाबला? क्या बतायेंगे जनता को? कैसे बतायेंगे, किस माध्यम का इस्तेमाल करेंगे? भाषाशैली कैसी होगी? क्योंकि, आप जिस जनता से संवाद करने जा रहे हैं वह हाईली इंटेलैक्चुअल नहीं है। वह बड़े बड़े टर्म्स नहीं समझती। वह एक ऐसे नेटवर्क से जुड़ी हुई है जो हर दिन, हर पल उसकी हिंदू अस्मिता को ट्रिगर करता है। आपके लिये स्पेस नहीं बचा है क्योंकि आपने स्पेस बनाने का प्रयास ही नहीं किया। आप जनता से जुड़ने, उससे संवाद करने के लिए चुनाव का इंतज़ार करते हैं। जबकि वह नहीं करते। वह जुड़े हुए हैं, अलग हुए ही नहीं।

यह सबकुछ जो लिखा है वह थोड़ा काम्प्लेक्स है लेकिन समझने की कोशिश करेंगे तो समझ जाएँगे। यह अचानक से नहीं हुआ है। इसके पीछे महीनों की तैयारी और प्लानिंग है। मैंने पूर्व में अपने एक आर्टिकल के माध्यम से भी इस बात का ज़िक्र किया था। उसे आप यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

Sudeept Mani Tripathi

Sudeept Mani Tripathi

About Author

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से हिंदी पत्रकारिता में परास्नातक। द लोकतंत्र मीडिया फाउंडेशन के फाउंडर । राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर लिखता हूं। घूमने का शौक है।

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