द लोकतंत्र: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियों के बीच तेजस्वी यादव का बहिष्कार वाला बयान राजनीतिक हलकों में हलचल मचा रहा है। आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं और चुनाव बहिष्कार की संभावना जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में दस्तावेजों के नुकसान के चलते लाखों वोटर सूची से हटाए जा रहे हैं, जिनमें ज्यादातर महागठबंधन समर्थक वोटर हैं।
तेजस्वी का यह बयान निश्चित रूप से एनडीए को असहज करने वाला है। उन्होंने कहा कि यदि जनता और विपक्षी दल सहमत होते हैं तो चुनाव बहिष्कार पर विचार किया जा सकता है। हालांकि अभी तक कांग्रेस या अन्य सहयोगी दलों की ओर से स्पष्ट समर्थन नहीं मिला है।
तेजस्वी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब लोकसभा चुनाव 2024 में महागठबंधन को केवल 9 सीटें मिली थीं, जबकि एनडीए ने 31 सीटों पर जीत दर्ज की थी। सी-वोटर सर्वे के अनुसार, तेजस्वी की लोकप्रियता घटकर 35% रह गई है, जबकि नीतीश कुमार के फैसलों से 58% लोग संतुष्ट हैं। यही कारण है कि तेजस्वी अब मतदाता सूची में हेरफेर का मुद्दा उठाकर जनता को लामबंद करने की कोशिश कर रहे हैं।
आरजेडी का दावा है कि 53 लाख वोट हटाए गए हैं, जिनमें 90% उनके कोर वोटर्स हो सकते हैं। यह बयान न केवल सरकार बल्कि चुनाव आयोग पर भी सीधा हमला है। अगर महागठबंधन चुनावों का बहिष्कार करता है, तो यह कदम एनडीए के लिए सियासी चुनौती बन सकता है।
हालांकि रणनीति तभी सफल होगी जब विपक्ष एकजुट हो। कांग्रेस और अन्य दलों की चुप्पी से यह रणनीति फिलहाल अधूरी लग रही है। तेजस्वी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह सहयोगी दलों को इस मुद्दे पर साथ लाएं।
तेजस्वी यादव का यह बयान सिर्फ एक सियासी दांव नहीं, बल्कि जनता और विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश है। अगर महागठबंधन इस दिशा में संगठित होता है, तो एनडीए को बिहार में कड़ी टक्कर मिल सकती है। लेकिन अगर विपक्ष बंटा रहा तो यह बहिष्कार सिर्फ एक प्रतीकात्मक बयान बनकर रह जाएगा।