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बिहार चुनाव 2025: सर्वे में तेजस्वी यादव सीएम की पहली पसंद, सीटों में एनडीए आगे

Bihar Elections 2025: Survey shows Tejashwi Yadav as CM's first choice, NDA ahead in seats

द लोकतंत्र/ पटना : बिहार चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, राजनीतिक तापमान लगातार चढ़ता जा रहा है। ताज़ा जेवीसी सर्वे ने राज्य की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। सर्वे के मुताबिक मुख्यमंत्री पद की पसंद में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव सबसे आगे हैं, जबकि मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस रेस में दूसरे स्थान पर रहे। वहीं पहली बार विधानसभा चुनावी अखाड़े में उतर रहे प्रशांत किशोर और चिराग पासवान ने भी पसंदीदा चेहरों की सूची में जगह बनाई है, जो राज्य की राजनीति में नए समीकरणों के संकेत देती है।

तेजस्वी बनाम नीतीश: लोकप्रियता में तेजस्वी आगे

जेवीसी पोल के अनुसार 33 प्रतिशत लोगों ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के रूप में अपनी पहली पसंद बताया। नीतीश कुमार को 29% समर्थन मिला, जो दर्शाता है कि वर्षों की सत्ता के बाद भी उनका प्रभाव कायम है, हालांकि बढ़ते राजनीतिक असंतोष और सत्ता-विरोधी भावनाओं का असर दिखने लगा है।

लोकप्रियता में तीसरे और चौथे स्थान पर चिराग पासवान और प्रशांत किशोर रहे, जिन्हें 10-10 प्रतिशत लोगों ने मुख्यमंत्री के रूप में पसंद किया। वहीं उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सम्राट चौधरी को 9 प्रतिशत लोगों ने समर्थन दिया। 5% मतदाताओं ने महागठबंधन के किसी अन्य चेहरे पर भरोसा जताया, जबकि 4% लोग बीजेपी के किसी और नेता के पक्ष में दिखे।

सीटों के अनुमान में तस्वीर उलटी, एनडीए को बढ़त

सीएम की पसंद में तेजस्वी भले ही आगे हों, लेकिन सीटों के संभावित आंकड़ों में एनडीए ने बढ़त बनाई है। सर्वे के अनुसार एनडीए को 120 से 140 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि महागठबंधन को 93 से 112 सीटों के बीच रोकता दिखाया गया है। बिहार विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 122 सीट है।

संभावित सीटों का ब्योरा:

  • भाजपा: 70–81 सीट
  • जेडीयू: 42–48 सीट
  • लोजपा (रामविलास): 5–7 सीट

महागठबंधन के लिए अनुमान:

  • आरजेडी (143 सीटों पर लड़ते हुए): 69–78 सीट
  • कांग्रेस: 9–17 सीट

चुनाव नतीजे तय करेंगे अंतिम तस्वीर

यह सर्वे 23 अक्टूबर से 30 अक्टूबर के बीच 32,657 लोगों की राय के आधार पर किया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण, संगठन की ताकत, उम्मीदवारों की स्थानीय लोकप्रियता और केंद्रीय नेतृत्व की अपील अंतिम नतीजों में निर्णायक भूमिका निभाती है।

भले ही लोकप्रियता में तेजस्वी आगे दिख रहे हों, लेकिन सीटों के अनुमान में एनडीए की स्थिति मजबूत है। ऐसे में चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो गया है। क्या तेजस्वी यादव जनता की पसंद को वोटों में बदल पाएंगे? या फिर एनडीए संगठन और सत्ता प्रबंधन के सहारे बढ़त बनाए रखेगा? 14 नवंबर को मतगणना के साथ ही यह साफ हो जाएगा कि बिहार की जनता ‘अनुभव’ को चुनती है या ‘नए नेतृत्व’ पर दांव लगाती है। अभी के लिए, राज्य की राजनीति एक बार फिर रोमांचक मोड़ पर खड़ी है।

Team The Loktantra

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