द लोकतंत्र: भारतीय संस्कृति में पक्षियों के व्यवहार को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं। उन्हीं में से एक है कबूतर की गुटर गूं यानी उसकी आवाज, जिसे लेकर शकुन शास्त्र में कई संकेत बताए गए हैं। कबूतर की आवाज शुभ और अशुभ दोनों ही प्रकार के भावों का संकेत देती है।
कबूतर की गुटरगूं का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में कबूतर को प्रेम और सौंदर्य की देवी रति का वाहन माना गया है, जो कामदेव की पत्नी हैं। साथ ही कुछ धार्मिक मान्यताओं में अमरनाथ गुफा में कबूतरों को भगवान शिव और देवी पार्वती का प्रतीक माना जाता है। वहीं, एक मान्यता यह भी है कि कबूतर मां लक्ष्मी के सहयोगी होते हैं और जहां ये आते हैं, वहां समृद्धि का वास होता है।
शुभ संकेत कब मिलते हैं?
शकुन शास्त्र के अनुसार, यदि सुबह के समय या दिन के पहले प्रहर में कबूतर की गुटरगूं सुनाई दे तो यह बेहद शुभ संकेत होता है। इसका अर्थ होता है कि आपके जीवन में कोई लाभकारी घटना घटने वाली है। इससे मानसिक शांति और ऊर्जा भी मिलती है।
अशुभ संकेत कब माने जाते हैं?
अगर कबूतर दिन के चौथे प्रहर यानी संध्या के समय गुटरगूं करता है तो इसे अशुभ संकेत माना गया है। यह किसी नुकसान, परेशानी या अपशकुन का इशारा हो सकता है। ऐसे में सतर्क रहना आवश्यक होता है।
कबूतर का घर पर आना कैसा संकेत है?
ज्योतिषाचार्य के अनुसार अगर किसी के घर पर कबूतर बार-बार आते हैं, तो इसे सकारात्मक ऊर्जा का संकेत माना जाता है। इससे घर में शांति, सुख और समृद्धि बनी रहती है। साथ ही यदि आप इन्हें दाना खिलाते हैं तो आपको गुरु और बुध ग्रह से शुभ फल मिलते हैं।
कब होता है कबूतर का घर में घोंसला अशुभ?
जहां कबूतर का आना शुभ होता है, वहीं यदि वे आपके घर में घोंसला बना लें, तो इसे दुर्भाग्य का सूचक माना जाता है। माना जाता है कि इससे घर में कलेश, आर्थिक परेशानी और अशांति आ सकती है। इसलिए कबूतरों को दाना जरूर खिलाएं, लेकिन उन्हें घोंसला बनाने से रोकें।