द लोकतंत्र: सावन 2025 का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान श्रद्धालु व्रत, उपवास और शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। शिवजी की पूजा में बेलपत्र अर्पित करना अत्यंत शुभ और फलदायक माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि साल के कुछ दिन ऐसे भी होते हैं जब बेलपत्र तोड़ना वर्जित होता है?
बेलपत्र का धार्मिक महत्त्व
बेलपत्र को शिवजी का अत्यंत प्रिय पत्र माना गया है। मान्यता है कि जब समुद्र मंथन से निकला हलाहल विष भगवान शिव ने ग्रहण किया था, तब देवताओं ने उनके शरीर के ताप को शांत करने के लिए जल और बेलपत्र अर्पित किए थे। तभी से बेलपत्र शिव पूजा का अभिन्न हिस्सा बन गया।
बेलपत्र की तीन पत्तियां त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश – का प्रतीक होती हैं। यह त्रिपुण्ड धारण करने वाले शिव को प्रसन्न करने का सबसे सरल माध्यम है।
किन दिनों में बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए?
शिव पुराण और अन्य धर्मग्रंथों के अनुसार, कुछ विशेष तिथियों पर बेलपत्र तोड़ना वर्जित है। इन तिथियों में बेलपत्र तोड़ने से पुण्य की बजाय पाप लगता है और शिवजी रुष्ट हो सकते हैं। ऐसे दिन हैं:
चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी
अमावस्या और पूर्णिमा
संक्रांति तिथि
सोमवार के दिन (विशेषकर दोपहर में)
दोपहर के समय (किसी भी दिन)
इन तिथियों में बेलपत्र न तोड़कर आप एक दिन पहले ही बेलपत्र एकत्र कर सकते हैं। खास बात यह है कि बेलपत्र छह माह तक भी बासी नहीं माने जाते, और आप पहले से अर्पित बेलपत्र को धोकर पुनः चढ़ा सकते हैं।
यदि बेलपत्र न हो?
यदि आपके आस-पास बेलपत्र का पेड़ नहीं है या उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, तो मंदिर में चढ़े बेलपत्र को स्वच्छ जल से धोकर दोबारा चढ़ाया जा सकता है। इससे शिव कृपा में कोई बाधा नहीं आती।
सावन माह में शिवभक्तों को बेलपत्र अर्पण अवश्य करना चाहिए, लेकिन धर्मग्रंथों में बताए गए नियमों का पालन कर यह सुनिश्चित करें कि पूजा विधि-विधान के अनुरूप हो। इन छोटी-छोटी बातों का पालन करने से शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।