द लोकतंत्र: सावन महीने की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को मनाई जाने वाली सावन शिवरात्रि आज बुधवार, 23 जुलाई 2025 को पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाई जा रही है। महाशिवरात्रि के बाद यह भगवान शिव की उपासना का दूसरा सबसे बड़ा और पवित्र पर्व है, जो खास तौर पर आध्यात्मिक साधना और मनोकामना पूर्ति के लिए जाना जाता है।
सावन शिवरात्रि का महत्व (Sawan Shivratri Significance)
यह पर्व भगवान शिव को समर्पित है, जो संपूर्ण सावन माह में सबसे पुण्यकारी दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और उन्हें आध्यात्मिक उन्नति का वरदान भी देते हैं। उत्तर भारत के कई प्रमुख मंदिरों में विशेष पूजन, रुद्राभिषेक और गंगाजल से अभिषेक की व्यवस्था होती है।
पूजा विधि (Sawan Shivratri Pooja Vidhi)
इस दिन श्रद्धालु ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके व्रत रखते हैं। व्रत के दौरान फल, दूध या जल का सेवन किया जाता है और नमक, अनाज आदि से परहेज किया जाता है। मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि चढ़ाया जाता है। ‘ॐ नम: शिवाय’ का जाप दिनभर किया जाता है।
जलाभिषेक और पूजन के शुभ मुहूर्त (Puja & Jalabhishek Muhurat)
ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, शिवरात्रि की पूजा और जलाभिषेक पूरे दिन शुभ माने जाते हैं, लेकिन कुछ खास मुहूर्त इस प्रकार हैं:
जलाभिषेक मुहूर्त:
पहला: सुबह 4:15 से 4:56 तक
दूसरा: सुबह 8:32 से 10:02 तक
चार पहर पूजन मुहूर्त:
पहला पहर: शाम 7:26 से रात 10:06
दूसरा पहर: रात 10:06 से 12:46
तीसरा पहर: रात 12:46 से सुबह 3:27
चौथा पहर: सुबह 3:27 से 6:07
निशिता काल: रात 12:25 से 1:08
देशभर में उत्सव का माहौल
काशी विश्वनाथ, उज्जैन महाकाल, बद्रीनाथ, केदारनाथ जैसे प्रसिद्ध शिव मंदिरों में विशेष आयोजन किए जा रहे हैं। उत्तराखंड, यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और हिमाचल जैसे राज्यों में भक्तों की भारी भीड़ देखी जा रही है।