द लोकतंत्र: देश में महंगाई के मोर्चे पर आम जनता को बड़ी राहत मिली है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2025 में खुदरा महंगाई घटकर 1.55% पर आ गई है, जो पिछले आठ वर्षों का सबसे निचला स्तर है। यह जून 2017 के बाद पहली बार है जब महंगाई भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 2%-6% सहनशीलता बैंड से नीचे आई है।
खाद्य महंगाई में आई बड़ी गिरावट
खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी इस गिरावट का प्रमुख कारण रही। जुलाई में खाद्य महंगाई -1.76% रही, जो जून के -1.06% से भी कम है। असमान मानसून के बावजूद अच्छी वसंत फसल ने खाद्य कीमतों को नियंत्रित रखने में अहम भूमिका निभाई, जिससे महंगाई में कमी का सिलसिला जारी है।
RBI का ब्याज दरों पर स्टैंड
ये आंकड़े RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) द्वारा रेपो रेट को 5.50% पर स्थिर रखने के एक हफ्ते बाद आए हैं। फरवरी से अब तक RBI तीन बार दरों में कटौती कर चुका है, जिससे रेपो रेट कुल 1% कम हो चुका है। इस बार RBI ने अपना रुख “न्यूट्रल” रखा और महंगाई के पूर्वानुमान को “अधिक अनुकूल” बताया।
फ्यूल और पॉवर की कीमतों में हल्की बढ़त
जून के 2.55% से बढ़कर जुलाई में फ्यूल और पावर सेक्टर की महंगाई 2.67% हो गई है। हालांकि, समग्र महंगाई में कमी ने इसका असर संतुलित कर दिया है।
वैश्विक कारक और अमेरिकी टैरिफ का असर
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर 50% टैरिफ की घोषणा की है, जिसमें से 25% लागू हो चुका है और बाकी अगस्त के अंत में लागू होगा। इससे निर्यात प्रभावित हो सकता है, लेकिन RBI का दरों में बदलाव न करना घरेलू अर्थव्यवस्था को सहारा देगा।
RBI का आगे का महंगाई अनुमान
RBI ने अनुमान जताया है कि वित्त वर्ष 2026 की अंतिम तिमाही में महंगाई थोड़ी बढ़ सकती है, खासकर सब्जियों की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण।
Q2 FY26: 2.1%
Q3 FY26: 3.1%
Q4 FY26: 4.4%
Q1 FY27: 4.9% (RBI लक्ष्य 4% से अधिक)
पूरे FY26 में कोर इंफ्लेशन का अनुमान 3.1% है, जो जून के 3.7% से कम है।