द लोकतंत्र : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के झंडेवालान इलाके में शनिवार (29 नवंबर) को दिल्ली नगर निगम (MCD) की अचानक हुई कार्रवाई ने गहन तनाव और विवाद को जन्म दे दिया है। बाबा पीर रतन नाथ के पुराने मंदिर परिसर और उसके आस-पास के लंगर हॉल, बगीचे और लगभग 100 से अधिक कच्चे-पक्के घरों पर बुलडोज़र चलाकर उन्हें तोड़ दिया गया। यह समूचा इलाका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय ‘केशव कुंज’ के ठीक बगल में स्थित है, जिससे स्थानीय निवासियों में भारी आक्रोश देखने को मिला।
800 साल पुरानी विरासत का दावा
स्थानीय निवासियों का दावा है कि यह मंदिर परिसर 800 साल से भी पुराना इतिहास रखता है।
- ऐतिहासिक संदर्भ: बुजुर्गों के मुताबिक, 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद बाबा रतन नाथ पेशावर से दिल्ली आए थे और तभी से यह जगह उनके नाम से पहचानी जाती है। स्थानीय लोगों ने लगभग 80 साल पहले यह जमीन बाबा के नाम कर दी थी।
- अवैध निर्माण का आरोप: शनिवार सुबह अचानक MCD की जेसीबी मौके पर पहुँची और बिना किसी पूर्व सूचना या नोटिस के इस पूरे इलाके को अवैध निर्माण बताते हुए तोड़फोड़ शुरू कर दी। निवासियों का स्पष्ट आरोप है कि दशकों से यहां रहने वाले परिवारों को कभी किसी एजेंसी ने नहीं रोका था।
आरएसएस मुख्यालय और रास्ते का विवाद
इलाके में सबसे बड़ी चर्चा कार्रवाई के पीछे के उद्देश्य को लेकर है।
- स्थानीय निवासियों का आरोप है कि RSS के नए मुख्यालय ‘केशव कुंज’ के निर्माण के बाद ही अचानक यह कार्रवाई शुरू हुई है।
- प्रयोजन: निवासियों का आशंका है कि मुख्यालय के लिए पार्किंग या रास्ता तैयार करने के लिए यह परिसर खाली कराया जा रहा है, जिससे न्याय और गरीबों के पुनर्वास के सिद्धांतों पर सवाल खड़े होते हैं।
तनावपूर्ण माहौल और पुनर्वास की मांग
तोड़फोड़ के बाद इलाके में माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। विरोध को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस और सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।
- गोपनीयता पर सवाल: तोड़फोड़ के बाद पूरे मलबे को देर शाम तक नीली टीन से ढक दिया गया है, जिसे स्थानीय लोगों ने असली स्थिति को छुपाने का प्रयास बताया है।
- न्याय की मांग: प्रभावित परिवारों ने सरकार और एमसीडी से पूरी कार्रवाई की जांच की मांग की है। उनका कहना है कि बिना नोटिस और बातचीत के इतनी बड़ी कार्रवाई सरासर अन्याय है। जिन लोगों के घर तोड़े गए हैं, उन्हें वैकल्पिक आवास या पुनर्वास दिया जाना चाहिए।
झंडेवालान की यह घटना प्रशासन की जवाबदेही, ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण और गरीब निवासियों के मानवीय अधिकारों पर महत्वपूर्ण सवाल उठाती है।

