द लोकतंत्र : संगम नगरी में मंगलवार की रात महाकुंभ में भगदड़ के दौरान दर्दनाक हादसा हो गया। भीड़ के भारी दबाव के कारण भगदड़ मच गई, जिसमें अब तक 17 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है, जबकि मृतकों की संख्या इससे अधिक होने की आशंका जताई जा रही है। बड़ी संख्या में लोग घायल हैं, जिन्हें उपचार के लिए महाकुंभ के अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
भगदड़ की सूचना मिलते ही प्रशासन हरकत में आ गया। घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस का तांता लगा हुआ है। राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है। यह हादसा देर रात करीब 2 बजे संगम तट के पास हुआ, जिसके बाद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी के साथ सुबह 4 बजे बैठक कर स्थिति की समीक्षा की और आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे संगम नोज की ओर जाने का प्रयास न करें और प्रशासन द्वारा निर्धारित विभिन्न स्नान घाटों पर स्नान करें। उन्होंने कहा कि सभी श्रद्धालु अफवाहों पर ध्यान न दें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।
सरकार ने श्रद्धालुओं से की सहयोग की अपील
यूपी सरकार के मंत्री ओपी राजभर ने भी श्रद्धालुओं से शांति बनाए रखने और प्रशासन का सहयोग करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं, ऐसे में सभी को प्रशासन की व्यवस्थाओं का पालन करना चाहिए। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे केवल विरोध करने के लिए अवसर ढूंढ रहे हैं, जबकि सरकार स्थिति को नियंत्रित करने में पूरी तरह मुस्तैद है।
विपक्ष ने साधा सरकार पर निशाना
महाकुंभ में भगदड़ की घटना को लेकर विपक्ष ने योगी सरकार पर निशाना साधा है। यूपी कांग्रेस ने कहा कि प्रशासन की लापरवाही और अव्यवस्थाओं के कारण यह दुखद घटना घटी है। कांग्रेस ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस घटना को बेहद दुखद बताया और श्रद्धालुओं से धैर्य बनाए रखने व प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की अपील की।
खरगे ने प्रशासनिक विफलता को ठहराया ज़िम्मेदार
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने महाकुंभ में हुई भगदड़ को लेकर प्रशासनिक विफलता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि आधी-अधूरी व्यवस्थाएं, वीआईपी मूवमेंट, बदइंतजामी और प्रचार पर अधिक ध्यान देने की प्रवृत्ति इस त्रासदी के लिए ज़िम्मेदार हैं। खरगे ने कहा कि सरकार ने महाकुंभ के लिए हजारों करोड़ रुपए खर्च किए, लेकिन फिर भी श्रद्धालुओं को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल सकीं। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से अपील की कि वे शेष महत्वपूर्ण शाही स्नानों से पहले व्यवस्थाओं को दुरुस्त करें और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे इस कठिन समय में पीड़ितों की हर संभव मदद करें।
प्रशासन की लिए भीड़ मैनेजमेंट बड़ी चुनौती
महाकुंभ में अभी कई महत्वपूर्ण शाही स्नान बाकी हैं, जिससे भीड़ का दबाव और बढ़ेगा। प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि आगे कोई ऐसी अप्रिय घटना न हो। सरकार को श्रद्धालुओं के ठहरने, भोजन, प्राथमिक चिकित्सा और मूवमेंट की व्यवस्था को और विस्तृत करने की आवश्यकता है। वीआईपी मूवमेंट पर भी सख्ती से लगाम लगाने की मांग उठ रही है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन आगे की व्यवस्थाओं में कितना सुधार कर पाता है और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कितनी प्रभावी रणनीति अपनाई जाती है।