द लोकतंत्र : जब एक मां बच्चे को जन्म देती है, तो उसके शरीर में एक अद्भुत केमिकल प्रोसेस शुरू होती है, जिसके तहत बच्चे को पर्याप्त पोषण देने के लिए दूध तैयार होने लगता है। इसे प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ संयोजन माना जाता है क्योंकि मां का शरीर ही सबसे पहले अपने बच्चे की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को समझता है। यह सिर्फ एक जैविक प्रक्रिया नहीं, बल्कि मां और बच्चे के बीच बनने वाला पहला गहरा रिश्ता होता है जिसमें प्यार, स्पर्श और सुरक्षा तीनों शामिल होते हैं।
डिलीवरी के बाद मां का पहली बार जो दूध निकलता है, उसे कोलोस्ट्रम (Colostrum) कहते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, महिलाओं के शरीर में दूध बनना कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे डिलीवरी कैसी रही है और मां की सेहत कैसी है।
‘कोलोस्ट्रम’ क्या है और बच्चे के लिए क्यों जरूरी है?
स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ने कोलोस्ट्रम के महत्व के बारे में विस्तार से बताया:
परिभाषा: डिलीवरी के कुछ घंटों या दिनों के भीतर स्तनों में जो पहला दूध बनता है, उसे कोलोस्ट्रम कहा जाता है। यह दूध गाढ़ा, सुनहरा और पोषक तत्वों से भरपूर होता है।
प्राथमिक वैक्सीन: इसे बच्चे की ‘प्राइमरी वैक्सीन’ कहा जाता है क्योंकि इसमें प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स, इम्युनोग्लोबुलिन ए (एंटीबॉडी), लैक्टोफेरिन और ल्यूकोसाइट्स (श्वेत रक्त कोशिकाएं) होती हैं।
लाभ: ये तत्व शिशु की इम्यूनिटी बनाने में मदद करते हैं और नवजात को शुरुआती इंफेक्शन से बचाने में सहायक होते हैं।
शिशु के जन्म के 2 से 4 दिनों के अंदर कोलोस्ट्रम, मैच्योर ब्रेस्ट मिल्क में बदल जाता है।
दूध बनने की प्रक्रिया: हॉर्मोन का रोल
डिलीवरी के तुरंत बाद मां के शरीर में दूध बनने की प्रक्रिया हार्मोनों और नसों के सिग्नल्स का एक समूह होती है:
कंगारू मदर केयर (KMC): डिलीवरी के बाद जब बच्चे को मां के सीने से लगाया जाता है (स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट)।
प्रोलैक्टिन रिलीज: जब बच्चा निपल्स को मुंह में लेता है या स्टिमुलेट करता है, तो नर्व में एक हार्मोन रिलीज होता है जिसे प्रोलैक्टिन कहते हैं।
ऑक्सीटोसिन रिलीज: प्रोलैक्टिन के रिलीज होने के बाद ऑक्सीटोसिन रिलीज होता है।
मिल्क प्रोडक्शन: प्रोलैक्टिन और ऑक्सीटोसिन (जो लेट-डाउन रिफ्लेक्स में मदद करता है) मिलकर शरीर में मिल्क प्रोडक्शन चालू करते हैं।
डिलीवरी के प्रकार और दूध बनने का समय
डॉक्टर के अनुसार, नॉर्मल डिलीवरी और सी-सेक्शन में दूध बनने के समय में थोड़ा अंतर होता है:
डिलीवरी का प्रकारदूध बनने में समय (सामान्यतः)कारणनॉर्मल डिलीवरीजल्दी (जन्म के 2-3 दिन बाद मैच्योर मिल्क)जल्दी स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट संभव होता है।सी-सेक्शन (C-Section)थोड़ा लेटटांके और रिकवरी में समय लगने के कारण स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट डिले होता है, जिससे हार्मोनल सिग्नलिंग धीमी हो जाती है।
डब्ल्यूएचओ (WHO) के अनुसार, जन्म के पहले 6 महीने तक केवल मां का दूध देना चाहिए।
मिल्क सप्लाई कम होने के मुख्य कारण
नई माताओं में मिल्क प्रोडक्शन कम होने के कई कारण हो सकते हैं:
लैचिंग की कमी: बेबी का लैचिंग और सकिंग रिफ्लेक्स अगर प्रॉपर नहीं है, तो मिल्क प्रोडक्शन कम हो सकता है।
शारीरिक समस्याएं: बच्चे में टंग-टाई या मां में इनवर्टेड/सोर निपल्स जैसी समस्याएं लैचिंग को प्रभावित करती हैं।
मां की सेहत: हाइपोथायराइडिज्म, डायबिटीज, या कुछ प्रीवियस सर्जरी (जैसे लपेक्टोमी) से मिल्क प्रोडक्शन कम हो सकता है।
तनाव (Stress): कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) रिलीज होने के कारण मिल्क प्रोडक्शन कम हो जाता है।
दवाएं: कुछ एंटी डिप्रेशन या ओवर द काउंटर मेडिसिन्स भी मिल्क प्रोडक्शन को कम कर सकती हैं।
दूध की सप्लाई बढ़ाने के 5 अचूक उपाय
दूध की सप्लाई बढ़ाने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित सलाह देते हैं:
पोषण और कैलोरी: मदर का कैलोरी इंटेक और प्रोटीन तथा डेयरी प्रोडक्ट की मात्रा अच्छी होनी चाहिए।
पर्याप्त पानी: प्रतिदिन कम से कम 3 से 4 लीटर पानी का सेवन करें।
गहरी नींद: मां का रेस्ट टाइम और रिकवरी टाइम अच्छा होना चाहिए। कम से कम 8 से 9 घंटे की गहरी नींद लें।
स्टिमुलेशन: बच्चे को दोनों ब्रेस्ट से फीडिंग कराएं ताकि उनमें स्टिमुलेशन बना रहे और मिल्क प्रोडक्शन में मदद मिलती रहे।
पॉजिटिविटी: तनाव और चिंता से बचें। काउंसलिंग लें और समझें कि मिल्क प्रोडक्शन एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसे समय देना जरूरी है।

