द लोकतंत्र : आज की भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल में फूड डिलीवरी और प्लास्टिक के कंटेनर में खाना पैक करना एक आम और सुविधाजनक प्रक्रिया बन गई है। चाहे ऑफिस की मीटिंग हो या घर में मेहमान आए हों, रेस्टोरेंट से आने वाला टिफिन अक्सर प्लास्टिक के डिब्बों में ही आता है। देखने में ये कंटेनर साफ-सुथरे लगते हैं, लेकिन कई रिसर्च और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इनमें रखा या गर्म किया गया खाना धीरे-धीरे आपकी सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।
एक स्टडी के अनुसार, प्लास्टिक के डिब्बों में पैक खाना कैंसर, हार्मोनल असंतुलन और यहां तक कि हार्ट फेल्योर जैसी गंभीर समस्याओं का खतरा भी बढ़ा सकता है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि क्या सच में प्लास्टिक के डिब्बे में खाना पैक करवाने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं और इसके पीछे का विज्ञान क्या है।
प्लास्टिक के डिब्बे कैसे बढ़ाते हैं खतरा?
प्लास्टिक कंटेनरों में पाए जाने वाले कुछ रसायन ऐसे होते हैं जो शरीर के हार्मोन सिस्टम को बुरी तरह प्रभावित करते हैं:
हानिकारक केमिकल: प्लास्टिक कंटेनर में मुख्य रूप से बिस्फेनॉल-A (BPA) और फ्थेलेट्स (Phthalates) जैसे हानिकारक केमिकल पाए जाते हैं। ये केमिकल एंडोक्राइन डिसरप्टर के रूप में काम करते हैं।
चिकनाई और गर्मी का प्रभाव: जब इन डिब्बों में चिकनाई वाला (Oil-rich) या गर्म खाना रखा जाता है, तो गर्मी और चिकनाई के कारण ये केमिकल खाने में आसानी से घुल जाते हैं (Leaching)।
हार्मोनल असंतुलन: शरीर में जमा होकर ये केमिकल हार्मोनल सिस्टम को बिगाड़ देते हैं। लंबे समय तक प्लास्टिक के डिब्बे में गर्म खाना पैक करने से डायबिटीज, थायरॉइड, PCOD (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
कैंसर का खतरा: यही केमिकल शरीर में धीरे-धीरे जमा होकर ब्रेस्ट, प्रोस्टेट और कोलोन कैंसर जैसे विभिन्न प्रकार के कैंसर की वजह बन सकते हैं। इसके अलावा प्रजनन से जुड़ी समस्याएं (Infertility) भी हो सकती हैं।
हार्ट फेल्योर और अन्य गंभीर बीमारियां
हाल ही में एक स्टडी में सामने आया है कि प्लास्टिक के डिब्बे में पैक खाना खाने से कन्जेस्टिव हार्ट फेल्योर का खतरा भी बढ़ता है।
माइक्रोबायोम को नुकसान: रिसर्च के अनुसार, प्लास्टिक के रसायन पेट के माइक्रोबायोम (Microbiome) को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे शरीर में सूजन (Inflammation) बढ़ती है।
सर्कुलेटरी सिस्टम: यह सूजन सर्कुलेटरी सिस्टम को प्रभावित करती है, जो आगे चलकर हार्ट फेल्योर का कारण बन सकती है।
घटिया क्वालिटी: कई छोटे रेस्टोरेंट या डिलीवरी सर्विसेज सस्ते और घटिया क्वालिटी के कंटेनर का इस्तेमाल करते हैं जिनमें फूड ग्रेड मटीरियल नहीं होता। ऐसे में डिब्बों से रिसने वाले केमिकल लीवर, किडनी और मेटाबॉलिक डिसऑर्डर जैसी कई अन्य खतरनाक बीमारियों की जड़ बन सकते हैं।
बचाव के 4 आसान तरीके
अपने स्वास्थ्य को इन खतरों से बचाने के लिए आप अपनी जीवनशैली में ये छोटे और जरूरी बदलाव कर सकते हैं:
तुरंत ट्रांसफर: अगर खाना प्लास्टिक के डिब्बे में आए तो उसे तुरंत कांच या स्टील के बर्तन में निकाल लें। खासकर, चिकनाई वाले और गर्म खाने को तुरंत बदलना जरूरी है।
सही पैकिंग की मांग: ऑफिस के बाहर से खाना मंगाते समय रेस्टोरेंट से विशेष रूप से फूड ग्रेड कंटेनर या एल्युमीनियम फॉयल में खाना पैक करने को कहें।
माइक्रोवेव से बचें: कभी भी प्लास्टिक के डिब्बे में खाना रखकर माइक्रोवेव में गर्म न करें। गर्मी लीचिंग की प्रक्रिया को कई गुना बढ़ा देती है।
पुनः उपयोग न करें: एक बार इस्तेमाल वाले प्लास्टिक बॉक्स को बार-बार दोबारा उपयोग न करें, क्योंकि वे खराब होने पर और अधिक हानिकारक केमिकल छोड़ते हैं।

