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Diwali Eye Safety: दिवाली पर पटाखों और लेजर लाइट्स से बच्चों की आंखों को कैसे बचाएं? ये 6 सेफ्टी टिप्स हैं बहुत जरूरी

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द लोकतंत्र : दिवाली (Diwali) का त्योहार अपने साथ ढेर सारी खुशियां, रंग-बिरंगी रोशनी, दीयों की जगमगाहट और मिठाइयों की मिठास लेकर आता है। लेकिन इस खुशी के माहौल में कुछ ऐसे खतरे भी छिपे होते हैं, जिन पर अगर ध्यान न दिया जाए तो त्योहार की खुशियां एक पल में गम में बदल सकती हैं। हर साल दिवाली के दौरान पटाखों से जुड़े हादसों की वजह से न जाने कितने बच्चे और बड़े गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं।

इन हादसों में खासकर आंखों की चोट (Eye Injury) सबसे ज्यादा खतरनाक होती है, क्योंकि यह कभी-कभी हमेशा के लिए अंधापन (Permanent Vision Loss) भी ला सकती है। इसके अलावा, हाल के वर्षों में लेजर पॉइंटर्स और तेज रोशनी वाले खिलौनों का चलन भी बढ़ा है, जो बिना किसी शोर या दर्द के धीरे-धीरे बच्चों की आंखों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में, दिवाली की खुशियों को सुरक्षित रखने के लिए बच्चों की आंखों की सुरक्षा के लिए विशेष सावधानी बरतना जरूरी है।

पटाखों से बच्चों की आंखों की सुरक्षा के लिए 3 जरूरी उपाय

हर साल दिवाली के दौरान डॉक्टर पटाखों के कारण गंभीर रूप से घायल हुए कई मामलों का इलाज करते हैं, जिनमें आंखों में जलन, जलने के निशान, दृष्टि कम होना और कई मामलों में दृष्टि पूरी तरह से चली जाना शामिल है।

सुरक्षा चश्मा पहनना अनिवार्य: पटाखों या झिलमिल करती रोशनी के पास खड़े होते समय बच्चों को हमेशा सुरक्षा चश्मा (Safety Goggles) या फेस शील्ड/वाइजर पहनाएं। यह चिंगारी या धूल को सीधे आंख में जाने से रोकेगा।

बड़ों की निगरानी में पटाखे जलाएं: बच्चों को पटाखे जलाने के समय हमेशा बड़ों की सख्त निगरानी में रखें। बच्चों को अकेले पटाखे जलाने की अनुमति न दें।

कपड़ों का चुनाव: पटाखे जलाते समय बच्चों को ढीले और सिंथेटिक कपड़े (जैसे नायलॉन, पॉलिस्टर) न पहनाएं, क्योंकि ये आसानी से आग पकड़ लेते हैं। इसके बजाय, टाइट फिटिंग के कॉटन (सूती) कपड़े पहनाएं। साथ ही, पैरों की सुरक्षा के लिए जूते पहनाना भी जरूरी है।

लेजर लाइट्स के बीच आंखों की सुरक्षा कैसे करें

आजकल बाजार में मिलने वाले लेजर लाइट्स और लेजर पॉइंटर्स बच्चों को बहुत आकर्षित करते हैं, लेकिन ये आंखों के लिए एक शांत खतरा हैं।

रेटिना को स्थायी नुकसान: विशेषज्ञों के अनुसार, जब बच्चे इन लेजर पॉइंटर्स को एक-दूसरे की आंखों पर फोकस करते हैं, तो यह रेटिना को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। यह सीधे आंखों की रोशनी छीन सकता है, भले ही बाहर से कोई चोट न दिखे।

शिक्षा और रोक: बच्चों को समझाएं कि ये सिर्फ खेलने का खिलौना नहीं हैं और इन्हें सीधे आंखों पर फोकस करना खतरनाक है। बेहतर होगा कि ऐसे खिलौने उनके हाथ में न दें।

आंख में चोट लगने पर कभी न करें ये 3 गलतियां (प्राथमिक उपचार)

पटाखे या किसी अन्य वस्तु के कारण आंख में चोट लगने पर, लोग अक्सर घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करने लगते हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ जाती है। जैसे एक मामले में, बच्चे की आंख में पटाखा पाउडर जाने पर परिवार वालों ने घी लगाया, जिससे संक्रमण बढ़ गया।

घरेलू नुस्खे न अपनाएं: पटाखे से चोट लगने पर घी, टूथपेस्ट, मक्खन या तेल जैसे घरेलू नुस्खे कभी न लगाएं। इससे जलन और संक्रमण बढ़ सकता है।

न छुएं और न रगड़ें: चोट लगने पर आंखों को न छुएं और न रगड़ें, न ही पानी से धोएं, क्योंकि इससे जलन अंदर तक पहुंच सकती है।

डॉक्टर से तुरंत मिलें: बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी आई ड्रॉप्स अपने मन से न डालें। आंख को साफ कपड़े या आई पैड से धीरे से ढक दें और बिना देरी किए तुरंत किसी नेत्र रोग विशेषज्ञ (Eye Specialist) से मिलें। समय पर उपचार दृष्टि बचाने में महत्वपूर्ण होता है।

Uma Pathak

Uma Pathak

About Author

उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

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