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…अब पेटीएम स्वीकार नहीं कर रहे दुकानदार, आरबीआई बैन के बाद कंपनी की साख गिरी

Now shopkeepers are not accepting Paytm, the company's reputation fell after the RBI ban.

द लोकतंत्र : दिग्गज फ़िनटेक कंपनी पेटीएम पर आरबीआई की बैन के बाद अब छोटे और मझोले दुकानदारों का भरोसा भी इस कंपनी से उठ गया है। ज़्यादातर दुकानदारों ने अपनी दुकान से पेटीएम स्कैनर और साउंडबॉक्स हटा दिया है। दुकानदारों द्वारा पेटीएम स्वीकार न करने की वजह से लोगों को अच्छी ख़ासी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है।

पेटीएम संस्थापक विजय शेखर शर्मा ने कहा जल्द ही सब ठीक हो जाएगा

हालाँकि पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा ने ग्राहकों को भरोसा दिलाया है कि सबकुछ ठीक है और आने वाले दिनों में पेटीएम वापस पटरी पर लौट आएगा लेकिन पेटीएम की इन दलीलों पर आरबीआई की कार्यवाई भारी पड़ रही है और मार्केट से तेज़ी से पेटीएम ग़ायब होते जा रहा है।

पेटीएम पर आरबीआई की कार्यवाई के बाद लोगों के बीच पेटीएम को लेकर एक आशंका पैदा हो गई है और लोग तेज़ी इस कंपनी से किनारा करना शुरू कर चुके है। इस संदर्भ में जब हमने लखनऊ के कुछ ठेला पटरी दुकानदारों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि ऑनलाइन पेमेंट लेने के लिए अब हम फ़ोनपे करवा रहे है। हमने पेटीएम का साउंड वाला डब्बा भी हटा दिया है और उसमें कोई पेमेंट नहीं ले रहे।

पेटीएम के शेयर्स में गिरावट

आपको बता दें, RBI ने बुधवार को Paytm की मूल कंपनी के 49 फ़ीसदी हिस्‍सेदारी वाले पेटीएम पेमेंट्स बैंक को बैंकिंग नियमों का पालन नहीं करने पर मोबाइल वॉलेट बिजनेस के साथ ही अन्‍य गतिविधियों को बंद करने का आदेश दिया था। आरबीआई के फ़ैसले के बाद पिछले दो दिनों के दौरान पेटीएम के शेयर 40 फीसदी से ज्‍यादा गिर चुके है। इस कारण इसके मार्केट कैप में 2 अरब डॉलर की गिरावट आई है। पेमेंट बैंक के खिलाफ नियामकीय कार्रवाई के तहत केंद्रीय बैंक आरबीआई ने कहा है कि वन97 कम्युनिकेशंस और पेटीएम पेमेंट्स सर्विसेज के सभी नोडल खातों को 29 फरवरी तक बंद कर दिया जाएगा।

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29 फरवरी के बाद वॉलेट, फास्टैग जैसी सेवाएं भी प्रभावित होने वाली हैं। ग्राहक अगले महीने से न तो पेटीएम वॉलेट में पैसे ऐड कर पाएंगे, न ही फास्टैग का रिचार्ज कर पाएंग। पेटीएम पेमेंट्स बैंक के अकाउंट में पैसे जमा भी नहीं हो पाएंगे। हालाँकि यह एक सामान्य यूपीआई की तरह काम करता रहेगा।

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Team The Loktantra

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लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरूप यह ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां स्वतंत्र विचारों की प्रधानता होगी। द लोकतंत्र के लिए 'पत्रकारिता' शब्द का मतलब बिलकुल अलग है। हम इसे 'प्रोफेशन' के तौर पर नहीं देखते बल्कि हमारे लिए यह समाज के प्रति जिम्मेदारी और जवाबदेही से पूर्ण एक 'आंदोलन' है।

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