द लोकतंत्र/ पटना : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Election 2025) का पहला चरण गुरुवार, 6 नवंबर को होने जा रहा है। इस चरण में कुल 121 सीटों पर मतदान होगा। चुनावी उत्साह चरम पर है और इसे लेकर सियासी तापमान भी गर्म है। वोटिंग से ठीक पहले जारी हुए विभिन्न ओपिनियन पोल्स और Poll of Polls के नतीजे साफ संकेत दे रहे हैं कि मुकाबला कड़ा जरूर है, परन्तु फिलहाल बढ़त एनडीए गठबंधन के पास दिखाई दे रही है। कई सर्वेक्षणों में एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिलते हुए महागठबंधन को पीछे बताया गया है, हालांकि वोटिंग से पहले के अनुमानों को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज है।
Poll of Polls के निष्कर्ष बताते हैं कि एनडीए 243 सदस्यीय विधानसभा में 143 सीटों तक पहुंच सकता है, जबकि महागठबंधन को 95 सीटों के आसपास रहने का अनुमान है। वहीं अन्य दलों को लगभग 5 सीटें मिल सकती हैं। इस डाटा के बाद चुनावी समीकरणों पर बहस और तीखी हो गई है।
IAANS-Matrize Opinion Poll क्या कहता है?
आईएएनएस-मैटराइज सर्वे के अनुसार, एनडीए 153 से 164 सीटों के बीच जीत हासिल कर सकता है। इसमें बीजेपी को 83-87 सीटें, जेडीयू को 61-65 सीटें, HAM और LJP (रामविलास) को 4-5 सीटें और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा पार्टी को 1-2 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है।
दूसरी ओर, महागठबंधन को 76-87 सीटों के बीच आंकलित किया गया है। इसमें आरजेडी को 62-66 सीटें, कांग्रेस को 7-9 सीटें, सीपीएम (एमएल) को 6-8 सीटें और अन्य वाम दलों तथा वीआईपी को सीमित सीटें मिलने का अनुमान है। छोटे दलों में असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम और प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी को 1-3 सीटें मिल सकती हैं।
Polstrat Survey में किसकी बढत?
Polstrat Opinion Poll थोड़ी अलग तस्वीर दिखाता है, लेकिन यहां भी रुझान एनडीए के पक्ष में ही है। सर्वे के अनुसार एनडीए 133-143 सीटें और महागठबंधन 93-102 सीटें हासिल कर सकता है। इस सर्वे में बीजेपी को 70-72 सीटें, जेडीयू को 53-56 सीटें, LJP (रामविलास) को 10-12 सीटें और HAM को 0-2 सीटें मिल सकती हैं। जनसुराज पार्टी यहां भी 1-3 सीटें लेते हुए दिखाई गई है।
चाणक्य स्ट्रैटेजीज सर्वे के मुताबिक एनडीए 130 से अधिक सीटें जीत सकता है जबकि महागठबंधन 110 से नीचे रह सकता है। अन्य दलों के खाते में 5-9 सीटें जा सकती हैं।
राजनीतिक संकेत क्या हैं?
ओपिनियन पोल भले ही एनडीए को बढ़त दे रहे हों, लेकिन बिहार में चुनावी माहौल अक्सर अंतिम चरण तक रंग बदलता रहता है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन और पीएम मोदी-सीएम नीतीश कुमार की संयुक्त रणनीति के बीच मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। सामाजिक समीकरण, गठबंधन का तालमेल और क्षेत्रीय मुद्दे चुनाव परिणामों पर असर डालेंगे।
पहले चरण की वोटिंग से पहले यह साफ है कि बिहार की राजनीतिक जंग पूरे रोमांच पर है। असली तस्वीर 3 दिसंबर को नतीजे आने के बाद ही सामने आएगी, लेकिन फिलहाल एनडीए को बढ़त मिलती दिख रही है चाहे फर्क बड़ा हो या मामूली।

