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‘नाचने वाला’ कहने पर खेसारी लाल यादव ने दिया जवाब, कहा – पहले अपने घर देखें सम्राट भैया

Khesari Lal replied to being called a 'dancer', saying - Samrat Bhaiya should first look at his house.

द लोकतंत्र/ पटना : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति में जुबानी जंग तेज़ हो गई है। छपरा सीट से राजद प्रत्याशी और भोजपुरी स्टार खेसारी लाल यादव ने उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के बयान पर करारा पलटवार किया है। सम्राट चौधरी ने हाल ही में खेसारी लाल को ‘नाचने वाला’ कहकर तंज कसा था, जिसके जवाब में खेसारी ने कहा कि ‘पहले सम्राट चौधरी अपने घर में झांककर देखें कि उन्होंने अपनी पार्टी में चार ‘नचनिया’ को टिकट क्यों दिया है?

सम्राट भैया मेरे बड़े भाई जैसे हैं, उनका आशीर्वाद चाहिए – खेसारी

हालांकि, खेसारी लाल ने अपने जवाब में मर्यादा बनाए रखते हुए सम्राट चौधरी को ‘बड़ा भाई’ बताया। उन्होंने कहा, सम्राट भैया मेरे बड़े भाई जैसे हैं, उनका आशीर्वाद चाहिए। वो जैसे माहौल से आते हैं, वैसे बोलते हैं। लेकिन मेरी परवरिश ऐसी नहीं कि मैं किसी के बारे में गलत कहूं।

बिहार के विकास को प्राथमिकता बताते हुए खेसारी लाल यादव ने कहा कि वे राजनीति में मनोरंजन नहीं, बदलाव लाने आए हैं। उन्होंने कहा मरते दम तक बिहार के विकास के लिए काम करूंगा। छपरा की तस्वीर बदलना मेरा संकल्प है। खेसारी ने आगे कहा कि बिहार में वास्तविक विकास अब तक नहीं हुआ है, इसलिए ‘अब शुरुआत से शुरुआत करनी होगी।’ उन्होंने युवाओं, किसानों और स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार और आधारभूत ढांचा सुधारने का वादा किया।

मेरे गानों का छपरा के विकास से कोई लेना-देना नहीं

भोजपुरी गानों में अश्लीलता के आरोपों पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि उनका काम सिर्फ मनोरंजन है। मेरे गानों का छपरा के विकास से कोई लेना-देना नहीं। जनता को मनोरंजन चाहिए और मैं वही करता हूं। लेकिन राजनीति मेरे लिए सेवा का माध्यम है।

बता दें, बिहार की सियासत में खेसारी लाल यादव की एंट्री ने चुनावी मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है। जहां एनडीए उनकी लोकप्रियता को “फिल्मी चमक” बता रहा है, वहीं राजद उन्हें ‘युवा चेहरा और जन-नायक’ के रूप में पेश कर रही है। छपरा की जनता अब यह देखने को बेताब है कि क्या खेसारी लाल यादव सिनेमा से निकलकर विधानसभा में भी अपनी छाप छोड़ पाएंगे?

Team The Loktantra

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लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरूप यह ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां स्वतंत्र विचारों की प्रधानता होगी। द लोकतंत्र के लिए 'पत्रकारिता' शब्द का मतलब बिलकुल अलग है। हम इसे 'प्रोफेशन' के तौर पर नहीं देखते बल्कि हमारे लिए यह समाज के प्रति जिम्मेदारी और जवाबदेही से पूर्ण एक 'आंदोलन' है।

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