द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : भारतीय विज्ञापन जगत को आज बड़ा झटका लगा। ‘एड गुरु’ के नाम से मशहूर पीयूष पांडे का 70 वर्ष की आयु में मुंबई में निधन हो गया। वे भारत के उन कुछ नामों में से थे जिन्होंने विज्ञापन को सिर्फ़ कारोबार नहीं, बल्कि कला में बदल दिया। उनके निधन से विज्ञापन जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। हालांकि, उनकी मौत के कारणों का अभी तक खुलासा नहीं हुआ है।
अबकी बार मोदी सरकार जैसा फेमस नारा भी गढ़ा
पीयूष पांडे ने ‘अबकी बार मोदी सरकार’, ‘ठंडा मतलब कोका-कोला’, ‘कुछ मीठा हो जाए’, और ‘फेविकोल का जोड़’ जैसे प्रतिष्ठित अभियानों के ज़रिए भारतीय विज्ञापन की भाषा को नया रूप दिया। 1982 में उन्होंने ओगिल्वी कंपनी के साथ अपने करियर की शुरुआत की और 1994 में कंपनी के बोर्ड में जगह बनाई। उन्हें उनके रचनात्मक योगदान के लिए भारत सरकार ने 2016 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था।
पीयूष ने 27 वर्ष की उम्र में विज्ञापन जगत में कदम रखा। उन्होंने अपने भाई प्रसून पांडे के साथ रेडियो जिंगल्स में आवाज़ देकर करियर की शुरुआत की थी। धीरे-धीरे वे विज्ञापन की दुनिया के ‘क्रिएटिव महारथी’ बन गए, जिनकी कलम से निकले संवाद आम लोगों की ज़ुबान पर चढ़ गए।
पद्मश्री पीयूष पांडे के निधन पर शब्द नहीं हैं
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने एक्स (Twitter) पर लिखा, पद्मश्री पीयूष पांडे के निधन पर शब्द नहीं हैं। उनकी रचनात्मक प्रतिभा ने कहानी कहने की कला को नई परिभाषा दी। वे सिर्फ़ एक एडमैन नहीं, बल्कि एक भावनात्मक कथाकार थे। उन्होंने आगे लिखा, मेरे लिए वे एक ऐसे मित्र थे जिनकी प्रतिभा उनकी गर्मजोशी और सादगी में झलकती थी। उनके जाने से जो खालीपन पैदा हुआ है, उसे भरना असंभव है। ओम शांति।
फिल्म निर्देशक हंसल मेहता ने भी अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए लिखा, फेविकोल का जोड़ टूट गया। आज एड वर्ल्ड ने अपना ग्लू खो दिया।
बता दें, पीयूष पांडे ने भारतीय विज्ञापन को आम लोगों की भाषा में ढाला। उनके विज्ञापन सिर्फ़ उत्पाद नहीं बेचते थे — वे भावनाएं, संस्कृति और जुड़ाव बेचते थे। आज उनका जाना भारतीय क्रिएटिव जगत के लिए एक युग के अंत जैसा है।

