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Govardhan Puja 2025: आज गोवर्धन पूजा का आखिरी शुभ मुहूर्त कब तक? जानें अन्नकूट की विधि

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द लोकतंत्र : 22 अक्टूबर 2025 को देशभर में गोवर्धन पूजा का पावन पर्व मनाया जा रहा है। गोवर्धन पूजा दिवाली पंच महापर्व के चौथे दिन मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा का विशेष विधान बताया गया है। इस पूजा को अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण को विविध व्यंजनों का भोग चढ़ाया जाता है, जिसमें 56 भोग सम्मिलित होते हैं।

यह त्योहार प्रकृति और पशुधन के प्रति आभार व्यक्त करने का भी प्रतीक है। आइए जानते हैं कि गोवर्धन पूजा का आज शाम कितने बजे तक पूजन होगा, क्या है आखिरी शुभ मुहूर्त और इस पर्व से जुड़ी धार्मिक कथा।

गोवर्धन पूजा के लिए आज शाम ये रहेगा शुभ मुहूर्त (Govardhan Puja 2025 Shubh Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा के लिए आज शाम दो प्रमुख मुहूर्त रहेंगे, जिनमें विधि-विधान से पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है:

प्रधान मुहूर्त: भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा के लिए आज दोपहर 3 बजकर 29 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 44 मिनट तक का मुहूर्त रहेगा। इस अवधि में पूजा करना सबसे शुभ फलदायी माना जाता है।

अंतिम शुभ मुहूर्त: इसके अलावा, गोवर्धन पूजा का आखिरी शुभ मुहूर्त आज शाम 5 बजकर 44 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। जो लोग पहले मुहूर्त में पूजा नहीं कर पाए हैं, वे इस अवधि में गोवर्धन पर्वत की विधि-विधान से पूजा कर सकते हैं।

अन्नकूट पूजा कैसे की जाती है? (Annakut Puja Vidhi)

गोवर्धन पूजा के दिन को ही अन्नकूट पूजा कहा जाता है, जिसकी विधि नीचे दी गई है:

देवताओं का आह्वान: वेदों के अनुसार इस दिन वरुण, इंद्र और अग्नि जैसे देवताओं की पूजा की जाती है।

गौ-पूजन: इस दिन गायों का श्रृंगार किया जाता है, उनकी आरती उतारी जाती है और उन्हें फल-मिठाइयां खिलाई जाती हैं। गायों को देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है।

गोवर्धन पर्वत निर्माण: गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिकृति (आकृति) बनाकर उसकी पूजा की जाती है, जिसमें पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य शामिल होते हैं।

छप्पन भोग (अन्नकूट): इस दिन घर के सभी सदस्यों का भोजन एक ही रसोई से बनता है। इसमें विविध प्रकार के पकवान (अन्नकूट) शामिल होते हैं, जिसमें पारंपरिक रूप से 56 भोग सम्मिलित होते हैं। भोजन में प्याज और लहसुन का प्रयोग नहीं किया जाता है।

भोग और प्रसाद: तैयार भोजन को सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाया जाता है और फिर इसे प्रसाद के रूप में घर के सभी सदस्य ग्रहण करते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से घर में समृद्धि और सुख-शांति आती है।

गोवर्धन पूजा कथा (Govardhan Puja Katha)

गोवर्धन पूजा करने के पीछे एक महत्वपूर्ण धार्मिक मान्यता है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण इंद्र देव का अभिमान चूर करना चाहते थे।

कथा के अनुसार, एक बार गोकुलवासी इंद्र देव की पूजा की तैयारी कर रहे थे। तब श्रीकृष्ण ने उन्हें इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा, क्योंकि गोवर्धन पर्वत ही उन्हें अनाज और पानी देता था।

इससे क्रोधित होकर इंद्र देव ने मूसलाधार बारिश शुरू कर दी, जिससे गोकुल में बाढ़ आ गई।

गोकुल वासियों की रक्षा के लिए, भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगुली पर उठाकर गोकुल वासियों को उसके नीचे आश्रय दिया।

माना जाता है कि इसके बाद भगवान कृष्ण ने स्वयं कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन 56 भोग बनाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का आदेश दिया था। तभी से गोवर्धन पूजा की प्रथा आज भी कायम है और हर साल गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का त्योहार मनाया जाता है।

Uma Pathak

Uma Pathak

About Author

उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

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