द लोकतंत्र : पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए करवा चौथ का व्रत सुहागन महिलाओं के लिए बेहद पवित्र माना जाता है। हर साल यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। लेकिन धार्मिक नगरी उज्जैन में इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि यहां स्थित करवा चौथ माता का अनोखा मंदिर साल भर में केवल एक ही दिन करवा चौथ के दिन करवा पट खोलता है।
नागदा बायपास मार्ग पर शिप्रा नदी के किनारे जीवन खेड़ी क्षेत्र में स्थित यह दुर्लभ करवा चौथ माता मंदिर देवी पार्वती, रिद्धि-सिद्धि, शुभ-लाभ और संतोषी माता के संयुक्त स्वरूप का अद्भुत प्रतीक है। यहां श्रद्धालुओं को एक ही स्थान पर कई देवियों के दर्शन का सौभाग्य मिलता है।
मंदिर के व्यवस्थापक डॉ. कैलाश नागवंशी ने बताया कि मंदिर वर्ष में 364 दिन बंद रहता है और केवल करवा चौथ के दिन ही दर्शन के लिए खोला जाता है। इस दिन श्रद्धालुओं को मां कामाख्या का सिंदूर, नेपाल का रुद्राक्ष और गर्भगृह से विशेष सिक्के प्रसाद के रूप में दिए जाते हैं।
मंदिर में माता के तीन विशेष स्वरूपों में दर्शन होते हैं –
सुबह माता बाल स्वरूप में, दोपहर में किशोरी स्वरूप में और शाम को विशेष मातृ स्वरूप में दर्शन देती हैं। इन दिव्य दर्शनों के लिए न केवल विवाहित महिलाएं बल्कि कुंवारी कन्याएं भी अच्छे पति की कामना लेकर मंदिर पहुंचती हैं।
मंदिर का ऐतिहासिक संबंध राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के बरवाड़ा कस्बे में स्थित करवा चौथ सिद्ध पीठ से बताया जाता है। डॉ. नागवंशी के अनुसार, माता को वहीं से आमंत्रित कर उज्जैन लाया गया था, जिसके बाद से यह स्थान भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया है।
करवा चौथ पर यहां दर्शन करने आने वाली प्रत्येक महिला को माता रानी का तांत्रिक कपड़ा, रुद्राक्ष, सिंदूर और सिक्का प्रसाद के रूप में दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी श्रद्धालु यहां सच्चे मन से पूजा करता है, उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
यह अनोखा मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि भारतीय परंपराओं और नारी श्रद्धा के प्रतीक के रूप में भी विशेष महत्व रखता है। उज्जैन का यह करवा चौथ माता मंदिर श्रद्धा, विश्वास और पारिवारिक एकता का जीवंत उदाहरण बन गया है।

