द लोकतंत्र/ पटना : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर खींचतान तेज होती जा रही है। पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने रविवार को गठबंधन के फैसलों पर खुलकर नाराज़गी जताई और सीट वितरण की प्रक्रिया को ‘पूरी तरह गलत’ करार दिया। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में महागठबंधन को कमजोर किया जा रहा है और इसे सही दिशा में लाने की तत्काल जरूरत है।
पप्पू यादव ने कहा कि अगर निर्णय लेने का अधिकार उन्हें दिया गया होता, तो शायद उन्हें एक भी सीट नहीं मिलती, लेकिन फैसले निष्पक्ष और जनभावना के अनुरूप जरूर होते। उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर भरोसा जताते हुए कहा कि यह एक अनुशासित और विचारधारा-आधारित संगठन है, जो गठबंधन धर्म का पालन कर रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि 12 जगहों पर दोहरे उम्मीदवार उतारना पूरी तरह गलत है और इससे महागठबंधन की एकजुटता पर गहरा असर पड़ेगा।
सुबह तक सीटें बंट रहीं, कौन कमजोर कर रहा गठबंधन?
पप्पू यादव ने तंज कसते हुए कहा कि महागठबंधन में सीटों का वितरण सुबह तक किया जा रहा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अंदरूनी तालमेल पूरी तरह बिगड़ा हुआ है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर कौन ताकतें गठबंधन को कमजोर करने की साज़िश कर रही हैं। यादव ने कहा, महागठबंधन में फिलहाल केवल कांग्रेस ही गठबंधन धर्म का पालन कर रही है, बाकी दल अपने-अपने स्वार्थ में उलझे हैं।
कांग्रेस से मिली जिम्मेदारी निभाने की नसीहत
सांसद ने कांग्रेस को सलाह दी कि वह अपनी राजनीतिक जिम्मेदारी को गंभीरता से निभाए और गठबंधन को एकजुट रखने के लिए स्पष्ट रणनीति अपनाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को एससी-एसटी और अति पिछड़ा वर्ग पर विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यही वर्ग महागठबंधन की असली ताकत हैं। यादव के मुताबिक, कांग्रेस ने इस दिशा में कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन सीट बंटवारे की अव्यवस्था ने उन प्रयासों को कमजोर कर दिया है।
गठबंधन में दरार के संकेत
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पप्पू यादव का बयान महागठबंधन के भीतर गहराते मतभेदों की ओर इशारा करता है। उनके मुताबिक, यह बयान न केवल अंदरूनी असंतोष को उजागर करता है, बल्कि चुनावी रणनीति को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े करता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते मतभेद दूर नहीं किए गए, तो इसका असर आगामी चुनाव परिणामों पर पड़ सकता है।
पप्पू यादव ने साफ कहा कि चुनाव जीतने के लिए केवल टिकट बंटवारा नहीं, बल्कि विचारधारा, एकजुटता और जनसंपर्क का तालमेल भी उतना ही जरूरी है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया गया, तो जनता सबक सिखाने में देर नहीं करेगी।

